अस्पतालों के नाम भेजी स्प्रिट से गोवर्द्धन बॉटलिंग प्लांट जोगिंद्रनगर में बनती थी शराब, आबकारी विभाग को मिले प्रारंभिक सबूत

अस्पतालों के नाम भेजी स्प्रिट से गोवर्द्धन बॉटलिंग प्लांट जोगिंद्रनगर में बनती थी शराब, आबकारी विभाग को मिले प्रारंभिक सबूत

शिमला
राज्य कर एवं आबकारी विभाग के आयुक्त यूनुस ने शनिवार को बताया कि विभाग को अंदेशा है कि गोवर्द्धन बॉटलिंग प्लांट और कालाअंब की फर्म में इंटरलिंक है। इसके कुछ साक्ष्य ई-वे बिल से सामने आए हैं। जहरीली शराब का मामला सामने आने से पहले ही गोवर्द्धन बॉटलिंग प्लांट पर कार्रवाई हो चुकी थी।

गोवर्द्धन बॉटलिंग प्लांट जोगिंद्रनगर में सरकारी अस्पतालों के नाम पर भेजी स्प्रिट से शराब बनाई जाती थी। कालाअंब की फर्म पर हुई कार्रवाई से राज्य कर एवं आबकारी विभाग को प्रारंभिक सबूत मिले हैं। आबकारी विभाग का दावा है कि इस गड़बड़झाले से प्रदेश में संचालित बड़े शराब माफिया का भंडाफोड़ होगा। जिस फर्जी ई-वे बिल और स्प्रिट से एक बड़े अवैध शराब के कारोबार का खुलासा हुआ है, वह नेटवर्क राज्य के बाहर से संचालित है। राज्य कर एवं आबकारी विभाग के आयुक्त यूनुस ने शनिवार को बताया कि विभाग को अंदेशा है कि गोवर्द्धन बॉटलिंग प्लांट और कालाअंब की फर्म में इंटरलिंक है। इसके कुछ साक्ष्य ई-वे बिल से सामने आए हैं। जहरीली शराब का मामला सामने आने से पहले ही गोवर्द्धन बॉटलिंग प्लांट पर कार्रवाई हो चुकी थी।

यह मामला जहरीली शराब के प्रकरण से अभी अलग है। इसमें इंटरलिंक है कि नहीं, यह पुलिस जांच से स्पष्ट होगा। यूनुस ने बताया कि जब पालमपुर में छापा मारा गया तो वहां पर स्प्रिट की मात्रा शराब में कम पाई गई। इसे बिल के मुताबिक नहीं पाया गया। विभाग को अंदेशा हुआ कि यह कहां डायवर्ट हो रहा था। इसके बाद इसका कनेक्शन पालमपुर तक निकला। पालमपुर मेें 13 हजार पेटियां शराब की बरामद की गईं। जोगिंद्रनगर वाली फर्म और पालमपुर में यह स्प्रिट कहां से आती थी, इस बारे में प्रथम दृष्टया जानकारी मिली है कि कालाअंब वाली फर्म ही इन्हें स्प्रिट बेचती रही है।

फर्जी तरीके से स्प्रिट को पपरोला और धर्मशाला भेजा जाना दर्शाया गया
जांच में यह बात सामने आई है कि कालाअंब की फर्म दस्तावेज तैयार कर अपने यहां से स्प्रिट आयुर्वेद कॉलेज पपरोला और सीएमओ धर्मशाला को भेजा जाना दर्शाती रही। इसे सैनिटाइजर में इस्तेमाल करने के लिए भेजा जाता रहा, जबकि इन दोनों संस्थानों से न तो इसकी मांग की गई और न ही ऐसी कोई आपूर्ति की गई। दोनों संस्थानों ने इससे इनकार किया है।

Related posts