अब करीबी नजर आने लगे दूर के भी रिश्ते

ऊना : ज्यों-ज्यों चुनाव की तिथि नजदीक आ रही है त्यों-त्यों कैंडीडेट्स की धड़कनें बढ़ती जा रही हैं। वोटरों का डर ऐसा सता रहा है कि अब तो दूर-पार की रिश्तेदारी भी निकट की नजर आने लगी है, अब तो रिश्ते भी दिखाई देने लगे हैं। दूर की चाची, ताई, फूफी और दादी की बहन इत्यादि तमाम रिश्तेदारों की खोज होने लगी है, इनसे लिंक निकाले जा रहे हैं।

रिश्तेदारी का वास्ता देकर वोटों की फसल काटने की तैयारी चल रही है। कई प्रकार के वास्ते देकर रिश्तेदारी के हवाले के जरिये भी वोट इकट्ठे करने का काम चल रहा है। जिनका कभी मुंह नहीं देखा, वहां भी अब निकट की रिश्तेदारी होने के दावे किए जा रहे हैं। कहीं ससुराल पक्ष की तरफ से रिश्तेदारी होने की बात कही जा रही है तो कहीं मित्रों के आगे रिश्तेदार होने के चलते निकटता खोजी जा रही है। वोटर भगवान को खुश करने के लिए नेता क्या-क्या उपाय नहीं कर रहे हैं।

बुजुर्गों की भी खूब हो रही खातिरदारी
बुजुर्गों की इन दिनों खूब खातिरदारी हो रही है। चारपाई पर पड़े जिन बुजुर्गों को कभी कोई बुलाना भी पसंद नहीं करता था, उनके भी पांव नेताओं को नजर आने लगे हैं। बुजुर्गों के आशीर्वाद लेने की मानो होड़ चल रही है। कुछ नेता तो बुजुर्गों को दादा और अपने पिता की उम्र के होने का हवाला देकर जेब से चुपके से बड़ा नोट उनके पास सरका रहे हैं। कह रहे हैं कि यह तो प्यार है। बुजुर्ग भी इन दिनों अपने आदर भाव से काफी प्रसन्न नजर आ रहे हैं।

वोटरों के भी यही दिन हैं। जब नेता जेब ढीली करने पर आमादा हों तो लेने वालों को भी आखिर क्या दिक्कत है। हाथ में यदि मोबाइल लग जाए तो पौबारह। खासकर युवाओं को इसी मोबाइल की चाह तो है। नेता भी होलसेल में मोबाइल मंगवा चुके हैं। चुपके से अपने खास समर्थकों को इन्हें थमा रहे हैं। मोबाइल पाकर कुछेक गद्गद् नजर आ रहे हैं और नेता का गुणगान कर रहे हैं। कुछ न कुछ हर किसी के हाथ लग रहा है।

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