अनाज मंडी में दुकानें तैयार पर गुलजार नहीं

नई दिल्ली। गाजीपुर अनाज मंडी की इमारत बनकर तैयार है, लेकिन दुकान की कीमत पर उठे विवाद से मंडी गुलजार नहीं हो सकी है। सरकार ने जहां एक दुकान की कीमत 44 लाख तय की है, वहीं कारोबारी इसे कम करने की मांग कर रहे हैं। लिहाजा अनाज का कारोबार अस्थायी ढांचे में चल रहा है और आपसी समझौता न होने से मामला अदालत में लंबित है।
शाहदरा में मेट्रो स्टेशन के निर्माण की योजना बनने पर स्थानीय अनाज मंडी को गाजीपुर शिफ्ट करना था। दिल्ली सरकार की तरफ से यहां दुकानें बनाई जानी थी। करीब 12 वर्ष पहले इसका जिम्मा दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड को सौंपा गया। योजना के अनुसार तीन फेज में यहां करीब 400 दुकानें बननी थीं और इनके बनने पर कारोबारियों को शिफ्ट किया जाना था। शाहदरा से हटाकर कारोबारियों को गाजीपुर के अस्थायी ढांचे में बैठा दिया गया।
मंडी का पहला फेज करीब दो साल और दूसरा एक साल पहले तैयार हो गया। अब आखिरी फेज पर काम शुरू होना है। आवंटन के समय बोर्ड ने एक दुकान की कीमत 44 लाख रुपये तय की, लेकिन कारोबारी इससे सहमत नहीं थे। वे सब्सिडी देकर कीमत कम करने की मांग कर रहे थे। इसके विरोध में वे अदालत में चले गए। मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है। एक कारोबारी ने बताया कि एक तो मंडी से उजाड़ा गया, फिर हमसे लाखों की मांग की जा रही है। जो दे पाना संभव नहीं है।
दूसरी ओर, अधिकारियों की दलील है कि बाजार दर पर दुकान की कीमत एक करोड़ से ज्यादा की बैठती है। सरकार कारोबारियों से सिर्फ लागत मांग रही है। विवाद बढ़ने पर मामला कोर्ट में चला गया। कारोबारी अभी भी समझौते को तैयार नहीं।

असामाजिक तत्वों का जमावड़ा:
खाली दुकानें असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गई हैं। शाम होते ही गाजीपुर गांव की तरफ से बदमाश अंदर घुस जाते हैं। जहां रात भर उनकी दादागीरी चलती है। इससे बगल की फूल मंडी के कारोबारी परेशान हैं। एक फूल कारोबारी ने बताया कि हमने कई बार इसकी शिकायत की, लेकिन राहत मिल नहीं सकी है।

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