अटकलों पर राजजात समिति ने विराम लगाया

कर्णप्रयाग। शनिवार दोपहर बाद एक टीवी चैनल पर श्रीनंदा राजजात के आयोजन को एक वर्ष के लिए स्थगित करने की अटकलों पर राजजात समिति ने विराम लगा दिया है। समिति के अनुसार राजजात आयोजन किसी भी स्थिति में स्थगित नहीं किया जा सकता और न ही समिति की ऐसी कोई मंशा है। समिति ने सात जुलाई को यात्रा के सफल संचालन को लेकर बैठक आहुत की है।
29 अगस्त से श्रीनंदा राजजात शुरू होनी है, लेकिन 16-18 जून को आई आपदा के बाद से राजजात की सभी तैयारियां धुल गई हैं। ऐसे में राजजात का आयोजन शासन और समिति के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है। लेकिन शनिवार दोपहर बाद एक टीवी चैनल पर राजजात एक साल बाद होगी ने सभी के कान खड़े कर दिए। इधर श्रीनंदा राजजात समिति के अध्यक्ष व महामंत्री का कहना है कि राजजात अपने नियत समय पर होगी। राजजात आयोजन समिति के जिलाध्यक्ष व राजजात विकास परिषद के सदस्य सुशील रावत ने कहा कि राजजात का आयोजन किसी भी स्थिति में स्थगित नहीं किया जा सकता।

वर्ष 1951 में पूरी नहीं हो पाई थी राजजात
वर्ष 1951 में श्रीनंदा राजजात भी मौसमी कहर से अछूती नहीं रही। इस वर्ष भाद्रपद में मौसम के उग्र रूप ने राजजात को मूल गंतव्य होमकुंड तक नहीं पहुंचने दिया। राजजात के रात्रि विश्राम के लिए पातरनचौंणिया पहुंचते वहां ओलावृष्टि होने लगी। बगुवाबासा व कैलुवाविनायक तक डेढ़ से दो फिट बर्फ जमी थी। इन हालात में भादो माह की 23 गते को यात्रा को पातरनचौंणिया में रुकना पड़ा। रूपकुंड, ज्यूंरागली, शिला समुद्र, होमकुंड जाना तो दूर सोचना भी अकल्पनीय था। 24 गते भादो को सुतोल के निकट रूपगंगा और नंदाकिनी नदी के संगम पर राजछत्र (मां श्रीनंदा की छंतोली) और खाडू की पूजा के साथ राजजात की गई।

आपदा के बाद से हुई विषम परिस्थितियों को लेकर हमें भी चिंता हैं। हम आपदा में आहत हुए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं। राजजात का भी अपना प्रोटोकॉल है। राजजात का दिनपट्टा 14 फरवरी बसंत पंचमी को जारी हो चुका है। इन परिस्थितियों में इसे स्थगित करना उचित नहीं है।
– डा. राकेश कुंवर, अध्यक्ष श्रीनंदा राजजात समिति

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