अंडर-19 भारतीय टीम का रविवार को बांग्लादेश से होगा सामना

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भारतीय अंडर-19 टीम
युवा ब्रिगेड अब विश्व विजेता बनने से सिर्फ एक जीत दूर है। टूर्नामेंट की अजेय भारतीय टीम का अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में सामना रविवार को बांग्लादेश से होगा। भारतीय टीम लीग में न्यूजीलैंड को हरा चुकी है। चैंपियन बनने की दहलीज पर खड़े यह युवा लड़ाके हर कसौटी पर खरे उतरकर ही यहां तक पहुंचे हैं। जीवन की तमाम चुनौतियाें से पार पाकर इन युवाओं ने अपने लिए नई राह बनाई है। अब इन्हें भविष्य के खिलाड़ी के रूप में देखा जाने लगा है। पर इनके लिए यहां तक पहुंचने की राह आसान नहीं थी।

अपनी मंजिल पाने के लिए इनमें से कुछ ने अपना बचपन तक दांव पर लगा दिया। किस्मत ने इन जांबाजों का हर कदम पर इम्तिहान लिया पर इनके सपने नहीं छीन सकी। अपनी लगन, मेहनत और परिवार के बलिदान ने इन्हें विश्व चैंपियन बनने से एक कदम दूर ला खड़ा किया है। पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में शतक जड़ने वाले यशस्वी जायसवाल की गोलगप्पे बेचने की कहानी तो अब क्रिकेट की किवदंतियों में शुमार है।उत्तर प्रदेश के भदोही से क्रिकेट में नाम कमाने मुंबई आए यशस्वी की अब ‘गोलगप्पा बॉय’ के नाम से पहचान बन गई है। अपना घर छोड़कर आए यशस्वी के पास न रहने की जगह थी और न खाने को पैसे। मुफलिसी के दौर में रात में गोलगप्पे बेचकर दिन में क्रिकेट खेलने वाले यशस्वी इस बात की मिसाल बन गए हैं कि जहां चाह होती है, वहां राह निकल ही आती है। ऐसे में उनके सरपरस्त बने कोच ज्वाला सिंह ने उसे अपनी छत्रछाया में लिया और यही से शुरू हुई उसकी कामयाबी की कहानी। 312 रन 156 की औसत से यशस्वी पांच मैचों में बनाकर शीर्ष स्कोरर हैं। वह एक शतक और तीन अर्द्धशतक लगा चुके हैं।

प्रियम के पिता ने बेचा दूध, चलाई वैन

मेरठ के करीब किला परीक्षित गढ़ के रहने वाले कप्तान प्रियम गर्ग के सिर से मां का साया बचपन में ही उठ गया था। तीन बहनों और दो भाइयों के परिवार को उनके पिता नरेश गर्ग ने संभाला। उन्होंने दूध, अखबार बेचकर और बाद में स्कूल में वैन चलाकर उसके सपने को पूरा किया। उनके कोच संजय रस्तोगी कहते हैं प्रियम ने अपने पापा का संघर्ष देखा है जो इतनी दूर से उसे लेकर आते थे। यही वजह है कि वह शौकिया नहीं बल्कि पूरी ईमानदारी से कुछ बनने के लिए खेलता है। यह भविष्य में बड़ा खिलाड़ी बनेगा क्योंकि इसमें वह संजीदगी है।’ नरेश ने दोस्तों से उधार लेकर प्रियम के लिए कभी क्रिकेट किट और कोचिंग का इंतजाम किया था। उनकी मेहनत रंग लाई जब वह 2018 में रणजी टीम में चुने गए।

किसान के बेटे आकाश

राजस्थान के भरतपुर जिले के नगला रामरतन गांव के किसान के बेटे आकश सिंह ने भी संघर्ष से अपना मुकाम पाया है। बाएं हाथ के तेज गेंदबाज आकाश के सपने को पूरा करने के लिए पिता वह सब किया जो वह कर सकते थे। आकाश ने कभी प्रैक्टिस से समझौता नहीं किया। वह जहीर खान और आशीष नेहरा को अपनी प्रेरणा मानने वाले आकाश ने कभी जंक फूड नहीं खाया। सात विकेट पांच मैचों में 17.28 की औसत से आकाश ने लिए हैं।

ध्रुव को फौजी बनाना चाहते थे पिता

विकेटकीपर ध्रुव चंद जुरेल के पिता नेम सिंह 1999 में करगिल युद्ध में लड़े थे। सेना में हवलदार पद से सेवानिवृत्त अगरा के नेम सिंह बेटे को फौजी बनाना चाहते थे पर वह तो क्रिकेटर बनने की ठान चुके थे। उन्होंने इसी साल इंग्लैंड दौरे पर त्रिकोणीय सीरीज में टीम इंडिया को जिताने में अहम रोल निभाया था। साथ ही अंडर-19 एशिया कप में टीम को कप्तानी भी की। विकेट के पीछे पांच मैचों में अब तक सात शिकार ध्रुव कर चुके हैं। इनमें पांच कैच और दो स्टंप हैं।

पढ़ाई में नहीं क्रिकेट में लगा रवि का मन

जोधपुर के लेग स्पिनर रवि बिश्नोई के पिता मांगीलाल शिक्षक हैं। रवि का मन पढ़ाई में नहीं क्रिकेट में लगा। 12वीं पास रवि आठ साल पहले जोधपुर में स्पार्टन क्रिकेट अकादमी में तेज गेंदबाज बनने पहुंचे थे। वहां के कोच प्रत्युश और शाहरुख ने उन्हें स्पिनर बनने के लिए प्रेरित किया। पूरा दिन क्रिकेट मैदान पर ही गुजारने वाले रवि से पिता नाराज रहते, लेकिन वह अपने फैसले पर अडिग रहे। 13 विकेट पांच मैचों में 11.61 की औसत से रवि ने चटकाए हैं। वह सर्वाधिक विकेट लेने में चौथे नंबर पर हैं।

यार्कर से चौंका रहे कार्तिक

उत्तर प्रदेश के हापुड़ के छोटे से गांव धनौरा के किसान योगेंद्र त्यागी का बेटा कार्तिक त्यागी अपनी यॉर्कर से विरोधियों को चौंका रहे हैं। साथ ही क्रिकेट के पंडितों का भी ध्यान खींच रहे हैं। 140 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से लगातार यॉर्कर फेंकने वाले कार्तिक का सफर इतना आसान भी नहीं रहा। पिता ने दस साल की उम्र में उनका दाखिला मेरठ की एक क्रिकेट अकादमी में कराया और इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 11 विकेट पांच मैचों में कार्तिक ने 10.90 की औसत से अभी तक झटके हैं। 4/24 उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।

क्रिकेट के दीवाने सुशांत

रांची के पुंदाग निवासी सुशांत मिश्रा अपनी पेस से खूब कहर मचा रहे हैं। क्रिकेट के प्रति दीवानगी के चलते उन्होंने पिछले साल 12वीं की परीक्षा भी नहीं दी थी। सुशांत जेएससीए क्रिकेट स्टेडियम में भारत और चेन्नई सुपर किंग्स के बल्लेबाज सुरेश रैना को क्लीन बोल्ड कर चुके हैं। रैना ने पहली गेंद पर छक्का जड़ा, लेकिन सुशांत ने दूसरी गेंद पर उन्हें बोल्ड कर दिया था। पांच विकेट चार मैचों में 22.80 की औसत से सुशांत ने चटकाए हैं।

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