
अंब/बडूही (ऊना)। जिलाभर के कई स्कूलों में वर्ष 2001 से कार्यरत कंप्यूटर शिक्षकों में कोई ठोस नीति न बनने के चलते मायूसी छाई हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्कूलों में इन शिक्षकों को विभिन्न कंपनियों के हवाले कर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। जबकि, सभी प्रकार के शिक्षकों का सीधा वास्ता प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग से होता है। फिर कंप्यूटर शिक्षकों को ही निजी हाथों में सौंप कर उनके रोजगार पर तलवार क्यों लटकाई जा रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि उनके बारे में जल्द स्थाई नीति बनाई जाए।
शुक्रवार को अंब के रामलीला मैदान में इसी मुद्दे को लेकर कंप्यूटर शिक्षकों की अहम बैठक का आयोजन किया गया। अध्यक्षता खंड इकाई अध्यक्ष जगमोहन शर्मा ने की। इस मौके पर अन्य कंप्यूटर शिक्षकों में पूर्ण सिंह, तरलोक चंद, नीरज डोगरा, विजय कुमार, मनोज कुमार, अंजू रानी आदि ने भाग लिया। इस दौरान अध्यापकों ने अपनी विभिन्न समस्याओं के बारे में विचार-विमर्श किया। बताया कि वर्ष 2001 से राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में कंपनी के अधीन कार्यरत अध्यापक बारह साल के बाद भी सरकार की ओर से उनके लिए किसी प्रकार की नीति न बनाए जाने से वे निराश हैं। तीन या पांच साल के लिए नई-नई कंपनियां आती हैं तथा अध्यापकों और बच्चों का उत्पीड़न कर वापस चली जाती हैं। सरकार ने कई बार इन अध्यापकों को आश्वासन दिया कि उन्हें विभाग के अधीन कर लिया जाएगा, लेकिन इस बारे में आज तक कोई भी अधिसूचना जारी नहीं हुई है। इन अध्यापकों ने सरकार से मांग की है कि कंप्यूटर अध्यापकों के बारे में कोई ठोस नीति बनाई जाए तथा विभाग के अधीन किया जाए।