स्क्रब टाइफस से अब तक 34 की मौत

शिमला : प्रदेश में स्क्रब टाइफस के कारण बीते वर्षों में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर केवल आंकड़ा 34 पर ही पहुंचा है और बीते वर्षों के दौरान आधिकारिक तौर पर हुई मौतों में भी यह आंकड़ा सबसे ज्यादा है। अभी तक बिना जांच के संभावित स्क्रब टाइफस के कारण मरने वालों का आंकड़ा 100 से अधिक है। यही नहीं, अभी तक संभावित स्क्रब टाइफस मामलों का आंकड़ा 1000 के करीब बताया जा रहा है।

प्रदेश में केवल आईजीएमसी में ही स्क्रब टाइफस की जांच सुविधा होने के कारण प्रदेश में इसकी चपेट में आने वाले और मरने वालों का आंकड़ा ही नहीं रखा जा रहा है बल्कि प्रदेशभर में संभावित मरीजों को बाकायदा स्क्रब टाइफस की दवा भी दी जा रही है और उपचार किया जा रहा है। आईजीएमसी में अभी तक 1500 के करीब मरीजों के स्क्रब टाइफस की जांच को सैंपल लिए गए हैं। इन सैंपलों के आधार पर जिनमें स्क्रब टाइफस पाया गया है उनकी संख्या 540 के करीब है।

स्क्रब टाइफस ओरिशिया सुशुमुशी के कारण होता है। यह रोग एक जीवाणु विशेष से संक्रमित पिस्सु यानी माइट के काटने से पनपता है। इसका जीवाणु झाडिय़ों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है और विशेषतौर पर घास और मक्की की कटाई के बाद उनमें पाया जाता है। स्क्रब टाइफस होने पर तेज बुखार जो 104 से 105 तक जा सकता है और कई बार कम भी रहता है, जोड़ों में दर्द व कंपकंपी के साथ बुखार का आना, शरीर में एंठन, अकडऩ या शरीर का टूटा हुआ लगना है।

स्क्रब टाइफस के कारण अभी तक 34 मरीजों की मौत हो चुकी है। इसके साथ ही 15 मामले पॉजीटिव आए हैं। अभी तक 540 मामले पॉजीटिव आ चुके हैं।
डा केसी राणा, वरिष्ठ चिकित्सक अधीक्षक आईजीएमसी शिमला

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