
टौणी देवी (हमीरपुर)। बमसन का अस्तित्व समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री खोने से बमसन में सन्नाटा छा गया है। नई सरकार बनने के बाद लोगों के चेहरों के साथ ही राणा समर्थकों में मायूसी का माहौल बना हुआ है। आखिर हो भी क्यों न हर किसी को अपना सीएम खोने का मलाल तो होता है और बमसन के तीन टुकड़ों में बंटने के बाद सीएम के खोने से भी गहरा आघात लोगों को लगा है।
बमसन के लोग पहले तक मंत्री तो दूर अपना विधायक होने के लिए तरसते थे। हमीरपुर जिले में सबसे दुर्गम क्षेत्र बमसन ही हुआ करता था। इसे लोग काले पानी के नाम से पुकारा करते थे, लेकिन 1998 में मुख्यमंत्री मिलने के बाद बमसन में विकास की ऐसी बयार वही कि बमसन के लोगों ने धूमल के बाद जुबां पर किसी और का नाम नहीं लिया और तीन बार लगातार विधायक चुनकर भेजा। इस बार धूमल चौथी बार हमीरपुर से विधायक बने हैं। बमसन से लगातार दूसरी बार पहले तक कोई विधायक नहीं बना था। मुख्यमंत्री मिलने के बाद विकास की क्षेत्र में ऐसी बयार वहीं, जिससे बमसन विकास की पटरी पर लौटा और अन्य क्षेत्रों की तुलना में विकास की गति और तेज हुई, लेकिन पुनर्सीमाकंन में बमसन का अस्तित्व खत्म हो गया और यह तीन टुकड़ों में बंट गया। सीएम चुनाव लड़ने के लिए हमीरपुर चले गए और जीत भी गए, लेकिन इस बार प्रदेश में मिशन रिपीट कांगड़ा जिले की वजह से अधूरा ही रह गया। चुनाव के बाद क्षेत्र में जो उत्साह पहले तक हुआ करता था, वह देखने को नहीं मिल रहा है। हमीरपुर, सुजानपुर और भोरंज में मिली कांग्रेस को करारी हार के बाद यहां के कांग्रेसियों में भी मायूसी है तथा सुजानपुर के निर्दलीय विधायक राजेंद्र राणा समर्थक भी ज्यादा खुश नहीं है। सरकार के खोने से लगता है कि बमसन में नए साल का जश्न भी फीका रहने वाला है। लोग अभी तक सरकार खोने के मलाल से बाहर नहीं निकल पाए हैं। आगामी दिनों में बमसन में सीएम के खोने की खाई पट पाती है या नहीं इस पर सभी की निगाहें रहेंगी।