SIM Swapping: आप भी हो सकते हैं शिकार, सेकेंडों में गायब हो जाएगी पूरी कमाई, बचने का यह है तरीका

डेस्क

आए दिन तमाम तरह के फ्रॉड हो रहे हैं। इनमें साइबर फ्रॉड सबसे ज्यादा हो रहा है। सिम स्वैपिंग भी साइबर फ्रॉड ही है। सिम स्वैपिंग करके जालसाज लोगों के बैंक खाते से पैसे उड़ा लेते हैं और लोगों को भनक तक नहीं लगती। ताजा मामला दिल्ली का है जहां एक बिजनेसमैन के खाते से सिम स्वैपिंग करके 18 लाख रुपये निकाल लिए गए हैं। आइए जानते हैं आखिर क्या है सिम स्वैपिंग और क्या हैं इससे बचने के तरीके

SIM Swap Fraud
क्या है सिम स्वैपिंग?
सिम स्वैप का सीधा मतलब सिम कार्ड को बदल देना या उसी नंबर से दूसरा सिम निकलवा लेना है। सिम स्वैपिंग में आपके मोबाइल नंबर से एक नए सिम का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। इसके बाद आपका सिम कार्ड बंद हो जाता है और आपके मोबाइल से नेटवर्क गायब हो जाता है। ऐसे में ठग के पास आपके मोबाइल नंबर से सिम चालू हो जाता है और इसी का फायदा उठाकर वह आपके नंबर पर ओटीपी मंगाता है और फिर आपके खाते से पैसे उड़ा लेता है

hacker
कई लोग मिलकर करते हैं ठगी

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट एडवोकेट प्रशांत माली के मुताबिक 2011 के बाद से इस तरह के अपराध बढ़े हैं। सिम स्वैपिंग सिर्फ एक शख्स नहीं करता बल्कि इस तरह के काम में कई लोग शामिल रहते हैं। संगठित गिरोह इसे अंजाम देते हैं। साइबर एंड लॉ फाउंडेशन की आंतरिक रिसर्च से पता चला है कि 2018 में ही इस तरीके से भारत में 200 करोड़ रुपये उड़ा लिए गए। अलग-अलग तरह के मीडिया, सोशल मीडिया के जरिये पहले तो आप पर नजर रखी जाती है और आपकी जानकारियां जुटाई जाती हैं। कई बार आपको किसी अनजान नंबर से कॉल आती है और जानकारी ली जाती हैं।ऐसे होती है सिम स्वैपिंग की शुरुआत
सिम कार्ड स्वैपिंग के लिए लोगों के पास ये ठग फोन करते हैं और दावा करते हैं कि वे आपके सिम कार्ड की कंपनी जैसे एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया या जियो के ऑफिस से बोल रहे हैं। ये ठग लोगों से इंटरनेट की स्पीड बढ़ाने और कॉल ड्रॉप को ठीक करने का दावा करते हैं। इसी बातचीत के दौरान ये आपसे 20 अंकों का सिम नंबर मांगते हैं जो कि सिम कार्ड के पीछे लिखा होता है। जैसे ही आप नंबर बताते हैं तो वे आपसे 1 दबाने के लिए कहते हैं। 1 दबाने के साथ ही नया सिम कार्ड जारी करने का ऑथेंटिकेशन पूरा हो जाता है और फिर आपके फोन से नेटवर्क गायब हो जाता है।ठग के फोन में आ जाता है नेटवर्क
जैसे ही आपके सिम का नेटवर्क गायब होता है वैसे ही ठग के पास आपके नंबर से मौजूद सिम कार्ड में नेटवर्क आ जाता है। ये ठग बड़े स्मार्ट होते हैं। ये पहले से ही लोगों पर नजर बनाए रखते हैं और इंटरनेट बैंकिंग की आईडी और पासवर्ड इनके पास पहले से ही होता है। ट्रांजेक्शन के लिए इन्हें सिर्फ ओटीपी की जरूरत होती है जिसे ये लोग सिम स्वैप करके पूरा कर लेते हैं।फर्जी साइट के जरिए जुटाते हैं बैंकिंग डीटेल
ये ठग ऑनलाइन विज्ञापन का सहारा लेकर फर्जी बैंकिंग वेबसाइट को गूगल में रैंक कराते हैं। इसके बाद जब आप लापरवाही से गूगल में अपने इंटरनेट बैंकिंग सर्च करते हैं तो इनकी फर्जी वेबसाइट का लिंक सबसे ऊपर दिखता है। ऐसे में आपको लगता है कि सबसे ऊपर दिखने वाला लिंक सही है। इसके बाद आप एक फर्जी वेबसाइट पर अपने इंटरनेट बैंकिंग का पासवर्ड और आईडी डाल देते हैं और यहीं से आपकी बैंकिंग डीटेल इन जालसाजों के पास पहुंच जाती है। तो आपके लिए जरूरी है इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल अपने बैंक की आधिकारिक वेबसाइट से ही करें। वेबसाइट के बारे में जानकारी आपको बैंक से मिली किट में मिल जाएगी।फोन को बंद करने की गलती ना करें
कई मामलों में ऐसा भी हुआ है कि ये जालसाज लगातार फोन करके परेशान करते हैं। ऐसे में आप तंग आकर फोन को बंद कर देते हैं और उन्हें इसी का इंतजार होता है। दरअसल एक सिम को एक्टिव होने में करीब चार घंटे का समय लगता है। ऐसे में वे आपको परेशान करके आपका फोन बंद कराना चाहते हैं ताकि उन्हें सिम कार्ड को चालू कराने का समय मिल जाए।

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