शिमला। नगर निगम शिमला के पूर्व अफसरों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की तैयारी है। मामला निगम की पौने चार लाख की धनराशि के दुरुपयोग का है। बीते साल निगम ने मामले को राज्य सरकार को भेजा था। इस पर सचिव शहरी विकास विभाग ने सदन में इस बाबत फैसला लेने को कहा था लेकिन महापौर संजय चौहान ने इस मामले को सदन में लाने से इंकार किया है। महापौर का कहना है कि मामला प्रशासनिक है। बीते सप्ताह निगम के ज्वाइंट कमिश्नर लीगल ने ग्रीन टैक्स से बाहरी नंबरों की गाड़ियां रखने वाले स्थानीय लोगों को छूट देने के मामले में ठेकेदार को धनराशि जारी करने वाले और धनराशि जारी करने की अनुशंसा करने वाले अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा है। विधि शाखा की इस राय के बाद निगम प्रशासन की परेशानियां बढ़ गई हैं। आयुक्त अमरजीत सिंह ने कहा कि मामले को गंभीरता से लेते हुए सलाह की जा रही है।
यह है मामला
मामला 2012 के दिसंबर का है। शहर में चार जगह लगे ग्रीन टैक्स बैरियरों से गुजरने वाले स्थानीय लोगों को रियायत देने का मामला निगम सदन में उठा था। सदन ने सर्वसम्मति से फैसला लिया था कि बाहरी नंबरों की गाड़ियां रखने वाले स्थानीय लोगों के पास बनाए जाए। पार्षदों से पत्र जारी होने के बाद करीब चार सौ स्थानीय लोगों को ग्रीन टैक्स से छूट दी गई थी। हाउस में कहा गया था कि बाहरी नंबरों की गाड़ियां रखने वाले स्थानीय लोग जब-जब शहर में आएंगे तो उनकी पर्ची काटी जाएगी लेकिन वे इसका भुगतान नहीं करेंगे। ग्रीन टैक्स बैरियर चलाने वाला संचालक इन पर्चियों को निगम में दिखाकर इसका भुगतान करवाएगा। लेकिन इस मामले में निगम के अफसरों ने सभी मानकों को धता कर ठेकेदार से तथ्य जुटाए बिना उसे अंदाजे से ही तीन लाख 82 हजार रुपये का भुगतान कर दिया।
महापौर के आदेश ताक पर
मामले के तूल पकड़ने पर पांच दिसंबर 2012 को महापौर संजय चौहान ने फाइल पर विधि शाखा से राय लेने के आदेश देते हुए कानूनी अड़चनों को जानने के लिए कहा था लेकिन, विधि शाखा तक यह फाइल नहीं पहुंची। इसी माह यह फाइल दोबारा महापौर को गई। महापौर ने फिर विधि शाखा की राय को लिखा लेकिन, फाइल फिर दबा दी गई। तीसरी दफा जब महापौर को फाइल गई तो उन्होेंने इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए पहले दिए गए आदेशों का पालन नहीं होने पर अफसरों को झाड़ लगाई। इसी दौरान निगम में अफसर भी बदल गए। लेकिन दोबारा से यह मामला एक-दूसरे के पाले में फेंका जा रहा है।
गंभीर धाराओं की है सिफारिश
ठेकेदार को धनराशि जारी करने और धनराशि जारी करने के लिए अनुशंसा करने वाले अफसरों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 409, 420 और 120 बी के तहत आपराधिक मामला दर्ज करवाने की सिफारिश की है। 406 और 409 धारा अमानत में खयानत, 420 धारा धोखाधड़ी और 120बी धारा मिलकर धोखा देने के आरोप में लगाई जाती है।