400 ट्रक आपरेटरों को राहत की उम्मीद

पांवटा साहिब (सिरमौर)। एक दशक से पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से काउंटर साइन समझौता नहीं हो सका है। इससे माल ढुलाई में लगे स्थानीय ट्रक उत्तराखंड में प्रवेश करने से भी कतराते हैं। दोनों ही राज्यों में अब कांग्रेस की सरकार बन गई है, जिससे जिला सिरमौर के ट्रक आपरेटरों में उम्मीद की नई किरण जगी है।
सिरमौर ट्रक आपरेटर संघ अध्यक्ष चरनजीत सिंह चन्नी और महासचिव देवेंद्र सिंह ने बताया कि 10 वर्षों से काउंटर साइन समझौता नहीं हो सका है। हिमाचल और उत्तराखंड में भाजपा सरकार बनने से उम्मीदें थी। लेकिन केवल बातचीत और आश्वासन मिलते रहे। बताया कि नया वाहन ट्रक खरीदने पर 12 वर्ष तक का नेशनल (एनपी) परमिट मिलता है। ट्रक संचालकों को देश के किसी भी प्रांत में बिना रोक टोक आवागमन में सुविधा रहती है। ट्रक के एनपी परमिट अवधि समाप्त होने पर ट्रक उन्हीं राज्यों में प्रवेश कर सकता है, जिस राज्य के साथ प्रदेश सरकार का काउंटर साइन समझौता हो। उत्तराखंड राज्य अलग बनने के बाद से हिमाचल प्रदेश के साथ समझौता नहीं हो सका है। इससे प्रदेश के ऐेसे हजारों ट्रक और जिला सिरमौर के 400 से अधिक ट्रक उत्तराखंड में माल ढुलाई को नहीं जा सके। समझौता नहीं होने पर वाहन राज्य में प्रवेश पर जब्त कर लिए जाते है।
सिरमौर ट्रक आपरेटर संघ अध्यक्ष चरनजीत सिंह ने कहा कि अब प्रदेश में वीरभद्र सिंह छठीं बार मुख्यमंत्री बने है। हिमाचल-उत्तराखंड दोनों राज्यों में कांग्रेस सरकार बनी है। इससे ट्रक आपरेटरों में उत्तराखंड से काउंटर साइन समझौते की उम्मीदें बंधी है। समझौता हो जाने से दोनों राज्यों के एनपी परमिट समाप्त होने के बाद भी एक दूसरे के क्षेत्र में प्रवेश कर सकेंगे। पांवटा विस क्षेत्र के नवनिर्वाचित विधायक किरनेश जंग से भी समस्या को प्राथमिकता से उठाने का आग्रह किया गया है। पांवटा विस क्षेत्र के विधायक किरनेश जंग ने कहा कि सरकार के समक्ष स्थानीय ट्रांसपोर्टरों की समस्या को रखा जाएगा।

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