हिमाचल के कई जिलों में जीवनरक्षक दवाओं का संकट

हिमाचल के कई जिलों में जीवनरक्षक दवाओं का संकट

धर्मशाला
कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने से हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं हांफने लगी हैं। कांगड़ा सहित कई जिलों में कोरोना मरीजों को दी जाने वाली जीवनरक्षक दवाओं डोक्सीसाइक्लिन और आइवर मैक्टिन की कमी ज्यादा हो रही है। इस वजह से घर में आइसोलेट कोरोना मरीजों को देरी से दवाएं मिल रही हैं।कांगड़ा के एक बीएमओ ने बताया कि एक हफ्ते से डोक्सीसाइक्लिन और आइवर मैक्टिन दवाओं की कमी पेश आ रही है।

सभी बीएमओ मुख्य स्टोर से दवा मांग रहे हैं लेकिन उन्हें नहीं मिल रही।  बीएमओ, सीएसची और पीएचसी के इंचार्ज अपने स्तर पर मार्केट से थोड़ी बहुत दवा खरीद कर मरीजों को दे रहे हैं लेकिन उससे काम नहीं चल रहा है। दो दिन और दवा की सप्लाई नहीं पहुंची तो कोरोना मरीजों को दवाई मिलना मुश्किल हो जाएगा।  एक और बीएमओ बताया कि धर्मशाला के मुख्य स्टोर से दो दवाओं की सप्लाई नहीं आ रही है। एक पीएचसी के इंचार्ज डाक्टर ने बताया कि उन्होंने मार्केट से आइवर मैक्टिन की 2000 और डोक्सीसाइक्लिन की 1000 गोलियां खरीद ली थीं, उस वजह से मुश्किल से काम चला। अगर दो दिन में हमें विभाग से दवा नहीं मिली तो हम मरीजों को दवाई नहीं दे पाएंगे।

  धर्मशाला स्थित स्वास्थ्य विभाग के दवा के मुख्य स्टोर के एक कर्मचारी ने बताया कि डोक्सीसाइक्लिन और आइवर मैक्टिन की दवा की सप्लाई पीछे नहीं आ रही है। सप्लाई करने वाले थोक विक्रेता का कहना है कि डोक्सीसाइक्लिन की कमी अभी खत्म नहीं होगी। जसूर स्थित दवा के थोक विक्रता मुनीश ने कहा कि कोरोना मरीजों को दी जाने वाली दवाओं की सप्लाई पूरी नहीं आ रही है। जिस दवा के 10 डिब्बे मांग रहे हैं तो मिल दो ही रहे हैं। पैरासिटामोल 650 एमजी दवा की सप्लाई भी कम आ रही है। एंटीबायायोटिक डोक्सीसाइक्लिन सहित अन्य दवा आइवरमैक्टिन भी बहुत कम मिल रही है। सीएमओ जीडी गुप्ता ने बताया कि सभी मरीजों को दवा दी जा रही है। मरीज बढ़ रहे हैं। इसलिए कई बार थोड़ी बहुत दिक्कत आ रही

कोविड काल में दवाओं का टोटा, टेटनस के इंजेक्शन तक नहीं
कोविड संकट में कई अस्पतालों में टेटनस के इंजेक्शन तक नहीं मिल रहे हैं। कई पीएचसी और सीएचसी के हाल खराब हैं। ज्यादातर बजट कोविड मरीजों के उपचार में खर्च किए जाने की वजह से अन्य मर्जों की सरकारी दवाओं की खरीद कम होना इसकी वजह मानी जा रही है। वहीं, स्वास्थ्य सेवाएं निदेशालय इस बारे में अनजान बना हुआ है। निदेशालय इस बारे में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को जिम्मेवार ठहरा रहा है।  हिमाचल प्रदेश में कोविड संकट के बीच छोटे अस्पतालों जैसे सीएचसी, पीएचसी आदि में दवाओं का संकट पैदा हो गया है।

दुर्घटना, अन्य बीमारियों आदि में इस्तेमाल होने वाली कई दवाओं की कमी हो गई है। चिकित्सा अधिकारियों की ओर से इस संबंध में बार-बार उच्च अधिकारियों से भी पर्याप्त दवा आपूर्ति करने की मांग की जाती रहती है, मगर सुनवाई नहीं हो रही। और छोड़िए, अगर टेटनस जैसा पांच-दस रुपये का टीका भी लगाना हो तो इसे भी बाहर दवा विक्रेताओं से मंगवाना पड़ता है। स्वास्थ्य संस्थानों की रोगी कल्याण समितियां अपने स्तर पर भी दवा की खरीद कर सकती हैं, मगर ये भी कंजूसी दिखाती नजर आ रही हैं। 

स्वास्थ्य सेवाएं निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि टीके उपलब्ध करवाना निदेशालय का नहीं, एनएचएम का काम है। दूसरी ओर, विशेष सचिव स्वास्थ्य एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक निपुण जिंदल ने बताया कि मालूम किया जाएगा कि पीएचसी में टेटनस की आपूर्ति क्यों नहीं हो रही है। यह मामला निदेशालय से भी संबंधित है। 

केस स्टडी 
शिमला में ठियोग, कोटखाई और चौपाल के  लोगों की आवाजाही के  केंद्र छैला स्थित पीएचसी में सोमवार को एक नेपाली मजदूर अपना इलाज करवाने गया। उसके पांव में लोहे की कील चुभ गई थी, मगर यहां पीएचसी के भीतर टेटनस का भी इंजेक्शन नहीं था। उसके उपचार के निजी दवा विक्रेता से ही इंजेक्शन मंगवाना पड़ा। साथ लगती ग्राम पंचायत क्यार के प्रधान अंबादत्त शर्मा ने यह मामला स्थानीय प्रशासन और बीएमओ के समक्ष उठाया। उसके बाद प्रशासन हरकत में आया। खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेंद्र सिंह टेक्टा ने कहा कि आपूर्ति बाधित होने से कुछ स्वास्थ्य केंद्रों मेें इस तरह की दिक्कत है। यह कमी आगे न हो, इसे सुनिश्चित किया जा रहा है। 

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