स्कूल और बुक सैलर गठजोड़ का भंडाफोड़

सोलन। निजी स्कूलों से किताबों और वर्दी का ठेका हासिल करने की लड़ाई अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ रही है। मोटे कमीशन बटोरने के लालच में निजी स्कूलों ने लूट के ठिकाने तय कर रखे हैं। स्कूल की ओर से निर्धारित दुकान से महज बुक्स ही नहीं, अभिभावकों को स्टेशनरी, बैग ब्रांडेड कपड़े, वर्दी तक थमाई जा रही है। सिर्फ एक किताब की जरूरत होने पर भी मनाही की जाती है, पूरा सेट खरीदने को बाध्य किया जाता है।
वीरवार को उपायुक्त सभागर में प्रशासन की ओर से निजी स्कूल और पुस्तक विक्रेताओं की बैठक आयोजित की गई तो इसे पूरे गठजोड़ का भांड़ा फूट गया। कुछ पुस्तक विक्रेताओं की दुकानों पर ही खरीददारी होने से आहत मार्केट में अन्य पुस्तक विक्रेताओं के विरोध शुरू कर दिया। साथ ही पूरे गोरखधंधे की पोल खोलकर रख दी। एसीटूडीसी सुभाष सकलानी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में अभिभावकों कर शिकायतों की सुनवाई की गई, साथ ही समस्या का हल निकालने का प्रयास किया गया।

बैठक के अहम प्रस्ताव

पीटीए रोक सकेंगे मनमानी: हर स्कूल में पीटीए (अभिभावक शिक्षक संघ) बनाने के निर्देश दिए गए। नतीजतन अभिभावकों की शिकायतों का समाधान और मांगों को प्रशासन तक पहुंचाया जा सके, जिससे नीति निर्धारण करने के लिए सरकार को सिफारिश भेजी जा सके।

विक्रेता का एकाधिकार हो खत्म : स्कूल के रिजल्ट के बाद प्रबंधन सलेबस बुक्स, स्टेशनरी और वर्दी की एक ओपन लिस्ट अभिभावकों को सौंपे। नतीजतन पुस्तक विक्रेता का एकाधिकार खत्म हो सके। मार्केट में कंपीटीशन का अभिभावकों को फायदा मिले, परेशानी कम हो सके।

सामान का पक्का बिल दिया जाए : स्कूल से जुडे़ प्रत्येक सामान का बिल अभिभावकों को दिया जाए। उपभोक्ता को बेची गई स्टेशनरी और अन्य सामान की वापसी में आनाकानी न हो। दूसरी तरफ प्रदेश सरकार को भी इससे मिलने वाले वैट के राजस्व का नुकसान न हो।

मुनाफा तय होने से बचेंगे अभिभावक : बैठक में स्कूल की किताबों, कापियों, स्टेशनरी, बैग और अन्य सामान का मुनाफा भी तय करने की सिफारिश की गई। नतीजतन एमआरपी से कम रेट पर किताबें उपलब्ध करवाई जाएं। ताकी अभिभावकों को राहत मिल सके।

इनसेट
शिकायत करें, नाम रहेंगे गुप्त
प्रशासन ने निजी स्कूल प्रबंधनों की मनमानी पर शिकंजा कसने के लिए अभिभावकों से शिकायत करने की अपील की है। शिकायत करने वालों के नाम और पते गुप्त रखे जाएंगे और कार्रवाई के लिए संबंधित विभागों को निर्देश दिए जाएंगे।

स्कूल प्रबंधनों ने दी सफाई
स्कूल प्रबंधकों को अपना पक्ष रखने का भी पूरा मौका दिया गया। प्रबंधनों के मुताबिक स्कूल में क्वालिटी एजूकेशन मुहैया करवाने के प्रयास किए जाते हैं। नतीजतन सरकारी स्कूलों से कहीं बेहतर वातावरण मिल सके। स्कूल ड्रेस से स्कूल की पहचान हो सके और बढ़िया कपड़ों की क्वालिटी से अभिभावकों का बार-बार वर्दी न खरीदनी पड़े।

एक ही प्रिंसिपल मौजूद शेष ने भेजे प्रतिनिधि
सोलन। प्रशासन की ओर से आयोजित बैठक में अपना पक्ष रखने के लिए पुस्तक विक्रेता काफी संख्या में पहुंचे। जबकि निजी स्कूलों के प्रधानाचार्य नदारद रहे। महज एक प्रधानाचार्य मौजूद रहे, शेष ने प्रतिनिधि भेजे। बैठक में गीता आदर्श विद्यालय के डा. रजनीश ठाकुर, सेंट ल्यूकस से चंद्रशेखर शर्मा, दुर्गा पब्लिक स्कूल से पवन कुमार, डीएवी से बीर सिंह श्याम, बीएल सेंटर स्कूल के प्रतिनिधि, गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल की प्रधानाचार्य गुरप्रीत माथुर और पुस्तक विक्रेताओं में अंशुल सूद, धीरत, राजेंद्र कुमार, सुशील बंसल, पवन बंसल, राजश्री गुप्ता, प्राण ठाकुर, मनचंदा आदि मौजूद रहे। आबाकारी एवं कराधान विभाग के ईटीओ नरेंद्र सिंह, शिक्षा विभाग से राजेश मेहता, चंद्रशेखर शर्मा, डीपीआरओ तेजस्वी गुप्ता, एपीआरओ प्रेम ठाकुर मौजूद रहे।

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