सेब ड्रापिंग ने उड़ाई बागवानों की नींद

रोहड़ू। सेब पौधों से फलों की लगातार ड्रापिंग ने बागवानों की नींद उड़ा दी है। गर्मी बढ़ने के साथ ही लगातार हो रही ड्रापिंग से पौधों में आधी फसल रह गई है। बंपर पैदावार को लेकर लगाए गए उद्यान विभाग के आंकड़े फलों की ड्रापिंग के बाद गड़बड़ा गए हैं।
सेब बगीचों में एक महीने से लगातार फल झड़ने की प्रक्रिया चल रही है। एक सप्ताह से पौधों में लगे फलों में से आधे गिरकर जमीन पर बिखर गए हैं। कई बगीचों में साठ प्रतिशत फसल झड़ चुकी है। प्रगतिशील बागवान शरोग गांव निवासी राम लाल चौहान, अढ़ाल निवासी भगत सिंह ठाकुर तथा सुरेंद्र चौहान का कहना है कि निचले क्षेत्र के सेब बगीचों में साठ प्रतिशत तक फल झड़ चुके हैं। उनका कहना है कि अभी फलों के झड़ने की प्रक्रिया लगातार जारी है। बागवानों का कहना है कि इस साल रिकार्ड फसल का अनुमान टूट चुका है। अब बगीचों में सामान्य से कम फसल रह चुकी है। उनका कहना है कि यदि फल झड़ने की प्रक्रिया यूं ही जारी रही तो पौधों में बहुत कम सेब रह जाएंगे। उद्यान विकास अधिकारी आग्रदास का कहना है कि कई बगीचों में पचास प्रतिशत तक फल झड़ने की सूचना है। उन्होंने कहा कि कम फसल से अच्छी गुणवत्ता का फल तैयार होगा। इससे बागवानों को बाजार में अच्छे दाम मिलेंगे। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डा. नरेंद्र कायथ का कहना है कि पौधे में क्षमता से अधिक फल लगने के कारण फल को पूरे हारमोन्स नहीं मिलते हैं। इससे जून में फल ड्रापिंग होती है। उन्होंने कहा कि इस साल पालीनेशन में कमी के कारण अधिक ड्रापिंग हो रही है। उन्होंने कहा कि आजकल के दिनों में फलों का झड़ना सामान्य प्रक्रिया है। इसकी रोकथाम का कोई उपाय नहीं है।

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