सुप्रीम कोर्ट ने पलटा फैसला, चरस मामले में सजायाफ्ता कैदी को तुरंत रिहा करने के दिए आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने पलटा फैसला, चरस मामले में सजायाफ्ता कैदी को तुरंत रिहा करने  के दिए आदेश
शिमला
सुप्रीम कोर्ट।

कुल्लू के खेम चंद को सुप्रीम कोर्ट ने चरस रखने के जुर्म से दोषमुक्त कर दिया है। कोर्ट ने खेम चंद को तुरंत प्रभाव से रिहा करने के आदेश दिए हैं। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 31 अगस्त 2018 को विचारण अदालत के निर्णय पर मुहर लगाई थी। विचारण अदालत ने खेम चंद को चरस रखने के जुर्म में 10 वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। इसके अलावा उसे एक लाख रुपये जुर्माना अदा करने के आदेश दिए गए थे।

हाईकोर्ट के इस निर्णय को खेम चंद ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। मामले के अनुसार 20 नवंबर 2014 को पुलिस ने खेम चंद से दो किलोग्राम चरस पकड़ी थी। उसके खिलाफ पुलिस थाना भुंतर में मादक पदार्थ निरोधक अधिनियम की धारा 20 में प्राथमिकी दर्ज की थी। अभियोजन पक्ष ने खेम चंद के खिलाफ विशेष न्यायाधीश कुल्लू की अदालत में अभियोग चलाया था।

विचारण अदालत ने अभियोग को स्वीकार करते हुए खेम चंद को चरस रखने के जुर्म में दोषी पाया था। विचारण अदालत के इस निर्णय पर हाईकोर्ट ने अपनी मुहर लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन पर पाया कि अभियोजन पक्ष का अभियोग सिर्फ जांच अधिकारी के बयान पर आधारित है। जांच अधिकारी ने स्वतंत्र गवाह को अभियोग में शामिल करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।

जांच अधिकारी के बयान से सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पाया कि उसने नामित आरोपी के थैले की तलाशी लेने से पहले अपनी निजी तलाशी उसे नहीं दी। अदालत ने यह भी पाया कि परीक्षण के लिए भेजे गए मादक पदार्थ की सील न होने को भी जांच अधिकारी स्पष्ट नहीं कर पाया है। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि जांच अधिकारी का बयान विरोधाभासी है, जिसका लाभ आरोपी को दिया जाना चाहिए।

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