सीमा पर 18 साल बाद शुरू हुई खेती, बीएसएफ ने चलाए बख्तरबंद ट्रैक्टर

सीमा पर 18 साल बाद शुरू हुई खेती, बीएसएफ ने चलाए बख्तरबंद ट्रैक्टर

हीरानगर (कठुआ)
तारबंदी के पार किसानों की जमीनों पर उगी झाड़ियां, सरकंडे हटाने को लगाए चार ट्रैक्टर
इस बार प्रशासन-बीएसएफ मिलकर उगाएंगे फसल, अगले सीजन में खुद खेती करेंगे किसान
विस्तार
अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तारबंदी के आगे किसानों की जमीन पर मंगलवार को अठारह साल बाद ट्रैक्टर चला। कड़ी सुरक्षा के बीच बीएसएफ ने बख्तरबंद ट्रैक्टर से खेतों की जुताई शुरू की। प्रशासन और बीएसएफ के सहयोग से करीब दो दशक बाद हजारों एकड़ जमीन पर फसलें उगेंगी।

खेती न होने के चलते जमीन पर झाड़ियां, सरकंडे उग चुके हैं, जिन्हें हटाकर इस साल खेती का सारा जिम्मा बीएसएफ और प्रशासन के पास है। अगले साल से जमीन खेती के लिए पूरी तरह से किसानों को सौंप दी जाएगी। पहले दिन चार ट्रैक्टरों से खेत जोते गए।
रविवार को बैठक के दौरान डीसी ने आश्वासन दिया था कि तारबंदी के आगे जमीन पर खेती का काम जल्द शुरू किया जाएगा। पहली बार यहां प्रशासन बीएसएफ के सहयोग से खेती करेगी। उसके बाद किसान खुद यहां खेती कर सकेंगे।
मंगलवार को डीसी ने स्वयं यहां पहुंचकर सुबह करीब 10 बजे जुताई का काम शुरू कराया। बीएसएफ के चार ट्रैक्टर जुताई में जुट गए, यहां से सरकंडे को साफ करने में भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। काम शुरू कराने के बाद डीसी ने पोस्ट में बीएसएफ के अधिकारियों से बैठक की और सहयोग के लिए धन्यवाद किया। बीएसएफ की 97 बटालियन के सीओ सत्येंद्र गिरी ने कहा कि इस काम को करने में पूरा सहयोग रहेगा।

किसानों को खेतों में जाने के लिए सुरक्षा भी मुहैया कराई जाएगी। बैठक के दौरान बीडीसी के चेयरमैन कर्ण कुमार, बॉर्डर यूनियन के अध्यक्ष नानक चंद, पंच एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक शर्मा भी यहां मौजूद रहे।

किसानों ने जैसी जमीनें छोड़ी थीं, वैसी ही वापस देंगे : डीसी
आईबी पर तारबंदी के आगे जुताई का काम शुरू कराने के बाद डीसी ओपी भगत ने कहा कि यहां खेती शुरू होने से सीमावर्ती किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। 18 वर्षों के बाद फिर से यहां किसान खेती कर पाएंगे, जिससे उनके आर्थिक हालात भी सुधरेंगे। उन्होंने बताया कि पहाड़पुर से लेकर बोबिया तक सारी जमीन पर पहली बार प्रशासन बीएसएफ के सहयोग से फसल लगाएगा। जितनी भी फसल तैयार होगी सीमावर्ती किसानों को दे दी जाएगी।

अगली फसल किसान खुद लगाएंगे। इसके पीछे मकसद यही है कि 2002 में जैसी यह जमीनें किसानों ने छोड़ी थीं, उन्हें वैसी ही वापस दी जाएंगी। वे उसके बाद यहां बिना किसी डर के खेती करें। इसके लिए पूरी सुरक्षा भी मुहैया कराई जाएगी।

 

Related posts