शिमला
आईएएस विनीत चौधरी के खिलाफ सीबीआई जांच
वह एम्स के उप निदेशक (प्रशासन) रह चुके हैं। वह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में भी संयुक्त सचिव के पद पर थे। आरोप थे कि एम्स के इंजीनियरिंग विंग में इस दौरान मनमानी खरीद हुई। खरीद फरोख्त में बड़े पैमाने पर हुए घपले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर दी है।
इन आरोपों की जांच का मसला अब दिल्ली के भाजपा सांसद उदित राज ने नई सिरे से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन के समक्ष उठाया था। इसमें कहा गया था कि पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद से नजदीकियों के चलते पूर्व सरकार ने चौधरी से संबंधित सभी शिकायतों को नजरअंदाज किया गया।
अब क्या करेगी हिमाचल सरकार!
आईएएस विनीत चौधरी से जब इस बारे में संपर्क किया गया, तो उन्होंने उनके खिलाफ कोई केस दर्ज होने की सूचना से इनकार किया। बताते चलें कि विनीत चौधरी की गिनती सूबे के बेहद प्रोफेशनल व प्रभावशाली अफसरों में होती है। वह इस समय हिमाचल सरकार में स्वास्थ्य, आईपीएच और बागवानी जैसे अहम विभाग संभाल रहे हैं।
अब देखना है कि सीबीआई जांच शुरू होने के बाद कांग्रेस सरकार चौधरी से इन अहम पदों की जिम्मेदारी वापिस लेगी या फिर पहले की तरह वह इन अहम पदों पर तैनात रहेंगे?
मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे आईएएस?
कार्मिक और गृह विभाग के अफसरों ने यह अहम जानकारी मुख्यमंत्री से क्यों शेयर नहीं की यह बड़ा सवाल है? सूत्र बताते हैं कि सीबीआई ने जांच से संबंधित सूचना के लिए पत्र राज्य के मुख्य सचिव को जून के दूसरे सप्ताह में भेजा था। 10 जून को इसे डायरी किया गया। अब अफसर दो तर्क दे रहे हैं। एक तो इसमें सीबीआई ने केस से संबंधित कोई कन्सेंट नहीं मांगी थी, इसलिए इसे ब्रांच तक प्रोसेस करवाना जरूरी नहीं था।
दूसरा ये कि अफसर नहीं चाहते थे कि एचपीसीए जैसे मामलों के कारण खेमों में बंटे अफसरों की आपसी लड़ाई के तौर पर इसे देखा जाए। इसलिए कार्मिक विभाग ने इसका निपटारा सेक्रेटरी स्तर पर ही करवा लिया। अभी कोई अफसर आधिकारिक तौर पर कुछ कहने को तैयार नहीं हैं।