सरकार को मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ने लौटाई फॉर्च्यूनर गाड़ी, सियासी गलियारों में चर्चा शुरू

सरकार को मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ने लौटाई फॉर्च्यूनर गाड़ी, सियासी गलियारों में चर्चा शुरू

मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर ने अपनी फॉर्च्यूनर कार सरकार को वापस कर दी है। उन्होंने अचानक ही यह फैसला लिया है। जहां एक ओर कांगड़ा जिला से संबंधित एक मुख्य संसदीय सचिव नई फॉर्च्यूनर की मांग रहे हैं। वहीं सुंदर सिंह ठाकुर ने अपनी सरकारी गाड़ी लौटाकर सियासी गलियारों में एक अलग तरह की चर्चा शुरू कर दी है।  यह उल्लेखनीय है कि सुंदर सिंह ठाकुर कुल्लू से कांग्रेस के विधायक हैं। वह मंत्री पद के लिए भी पात्र बताए जा रहे थे, मगर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की कैबिनेट में जगह नहीं पा सके तो उन्हें मुख्य संसदीय सचिव पद पर नियुक्ति दी गई।

हालांकि कहा जा रहा है कि मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असांविधानिक बताए जाने वाले मामले से उनके कार लौटाने का कोई लिंक नहीं है। सुंदर सिंह ठाकुर के फॉर्च्यूनर लौटाने के तुरंत बाद कांगड़ा जिला से संबंधित एक अन्य मुख्य संसदीय सचिव ने अब इसी गाड़ी को सामान्य प्रशासन विभाग से अपने लिए मांगा है।  वह कह रहे हैं कि उनके पास पुरानी कार है। सुंदर सिंह ठाकुर के पास नई कार थी। प्रदेश में वर्तमान में छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति की है। इनमें सुंदर सिंह ठाकुर, मोहन लाल ब्राक्टा, राम कुमार, आशीष बुटेल, किशोरी लाल और संजय अवस्थी हैं। उधर, इस बारे में सीपीएस सुंदर सिंह ने गाड़ी छोड़ने का कोई कारण नहीं बताया।

धर्माणी ने लौटाया था गनमैन, 2014 में छोड़ा था सीपीएस का पद 
वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले तत्कालीन मुख्य संसदीय सचिव राजेश धर्माणी ने भी इस पद को ही छोड़ दिया था। उन्होंने त्यागपत्र देते हुए कहा था कि यह कुर्सी असांविधानिक है। इसके अलावा राजेश धर्माणी  ने हाल ही में गनमैन लेने से भी इनकार किया है।

हाईकोर्ट में उपमुख्यमंत्री समेत सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती के मामले की सुनवाई आज

 हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में मंगलवार को उपमुख्यमंत्री समेत सीपीएस की नियुक्ति के मामले की सुनवाई होगी। राज्य सरकार ने याचिका की गुणवत्ता पर सवाल उठाया है। सरकार ने दलील दी है कि सभी याचिकाएं हाईकोर्ट के नियमों के अनुसार दायर नहीं की गई हैं। याचिकाकर्ता ऊना से विधायक सतपाल सिंह सत्ती और 11 अन्य विधायकों ने मामले के अंतिम निपटारे तक सभी सीपीएस को काम करने से रोकने के आदेशों की मांग की है। बता दें कि सीपीएस की नियुक्तियों को तीन याचिकाओं से चुनौती दी है। सबसे पहले वर्ष 2016 में पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस संस्था ने सीपीएस को चुनौती दी थी।

नई सरकार की ओर से सीपीएस की नियुक्ति करने पर उन्हें प्रतिवादी बनाए जाने के लिए आवेदन किया गया। उसके बाद मंडी निवासी कल्पना देवी ने भी सीपीएस की नियुक्तियों को लेकर याचिका दायर की गई है। भाजपा नेता सत्ती ने उप-मुख्यमंत्री समेत सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती दी है। अदालत सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही है। याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि पंजाब में भी ऐसी नियुक्तियां की गई थीं, जिन्हें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। वर्ष 2006 में हाईकोर्ट भी इन नियुक्तियों को असांविधानिक ठहरा चुका है।

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