चंडीगढ़
हरियाणा सरकार ने प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय युवाओं को 75 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। ऐसा देश में पहली बार हो रहा है और कानून बन जाने के बाद यह विधान अगले 10 साल तक लागू रहेगा।
इसके मुताबिक 10 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को तीन महीने में सरकार के पोर्टल पर पंजीकरण कर बताना होगा कि उनके यहां 50 हजार रुपये तक की मासिक तनख्वाह वाले कितने पद हैं और इन पर हरियाणा से कितने लोग काम कर रहे हैं। हर कंपनी को तीन महीने में इस कानून को लागू करने की स्थिति यानी स्टेटस रिपोर्ट सरकार को देनी होगी।
आरक्षण पर अगर-मगर…
लेकिन आरक्षण लागू करने के मामले में कई सवाल और अड़चनें भी हैं। हरियाणा में काम करने वाली कंपनियां इसके खिलाफ कोर्ट जा सकती हैं और दूसरे स्किल्ड कर्मचारी न मिलने का बहाना बनाकर आरक्षण में छूट हासिल की जा सकती है। कंपनियां सरकारी अफसरों से सांठगांठ करके स्किल्ड कर्मचारी न मिलने की स्थितियां पैदा कर सकती हैं और तब आरक्षण का मामला पीछे चला जाएगा।
विधेयक के अनुसार- किसी पद के लिए स्किल्ड कर्मचारी न मिलने पर आरक्षण कानून में छूट दी जा सकती है। इस बारे में निर्णय जिला उपायुक्त या उससे उच्च स्तर के अधिकारी लेंगे। एसडीएम या इससे उच्च स्तर के अधिकारी कानून लागू कराने की जांच के लिए डाटा ले सकेंगे और कंपनी परिसर में भी जा सकेंगे। मामला यहां फंस सकता है।
क्या होगा एनसीआर में…
गुरुग्राम और फरीदाबाद हरियाणा में होने के साथ ही एनसीआर का भी हिस्सा हैं। दोनों ही औद्योगिक नगरों की प्राइवेट कंपनियों में लाखों लोग काम करते है। लेकिन एनसीआर का हिस्सा होने के नाते हरियाणा सरकार यहां आरक्षण कैसे लागू करेगी और बहुराष्ट्रीय कंपनियां राज्य सरकार के कायदे मानेंगी इसमें पूरा संदेह है।
ये रहेगा कानून का प्रारूप
हरियाणा स्टेट एम्प्लॉयमेंट टू लोकल केंडिडेट्स एक्ट-2020 प्रदेश के सभी निजी उद्योग, फर्म अथवा हर रोजगार प्रदाता पर लागू होगा जहां 10 से अधिक कर्मचारी कार्यरत है। यह नियम पहले से कार्यरत कर्मचारियों पर लागू न होकर अध्यादेश की अधिसूचना जारी होने की तिथि के बाद निजी क्षेत्र में होने वाली भर्तियों पर लागू होगा।