शोधकर्ताओं ने दिए पुरानी इमारतों की समस्याओं के समाधान, पुरानी इमारतें भी बनेंगी भूकंपरोधी

शोधकर्ताओं ने दिए पुरानी इमारतों की समस्याओं के समाधान, पुरानी इमारतें भी बनेंगी भूकंपरोधी

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रोपड़ के शोधकर्ताओं के मुताबिक, पुरानी इमारतों को कंक्रीट, पॉलिमर और फाइबर से अतिरिक्त ताकत देकर भूकंपरोधी बनाया जा सकता है।  शोधकर्ताओं में शामिल आदित्य सिंह ने आईआईटी रोपड़ के सहयोग से आयोजित एसेसमेंट एंड अपग्रेडेशन ऑफ डिटेरेटिंग रीइन्फोर्स्ड कंक्रीट स्ट्रक्चर्स : ए रिसर्चर्स व्यू वेबिनार के दौरान बताया कि उनके शोध में पुरानी इमारतों में कंक्रीट के स्तंभ बनाने व दीवारों को पॉलिमर व फाइबर से सुदृढ़ बनाने के बाद उनकी भूकंप सहने की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। कंक्रीट संस्थान, चंडीगढ़ की तरफ से आयोजित वेबिनार में आदित्य ने बताया कि इस संबंध में किए गए शोध अध्ययन को 2019 में इंजीनियरिंग स्ट्रक्चर्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।

सामान्य भार की वजह से गिरीं इमारतें
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के डाटा और आरटीआई से मिली जानकारियों के मुताबिक, देश में 1995 से 2015 तक इमारतें गिरने से 28,764 लोगों की मौत हुई है। इस तरह से हर साल करीब 1,450 मौतें हुई हैं। यहां गौर करने वाली बात यह है कि ये इमारतें सामान्य भार की वजह से ही गिर गईं। देश में भूकंप या चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने में सक्षम इमारतें बेहद कम हैं। भारत दुनिया के सबसे ज्यादा जीर्णशीर्ण घरों वाला देश है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि तुर्किये और सीरिया में भारी विनाश का कारण भी इमारतों का घटिया निर्माण है।

10% से अधिक जंग में कारगर
आदित्य ने बताया कि शोध के दौरान उन्होंने जंग लगे स्तंभों के कंक्रीट कवर को अल्ट्रा हाई परफॉर्मेंस फाइबर रीइन्फोर्स्ड कंक्रीट (यूएचपीएफआरसी) से बदल दिया और भूकंप की स्थिति का अनुकरण करके उनकी भूकंपीय क्षमता का परीक्षण किया। इस दौरान स्तंभों के सुदृढ़ीकरण में 10 फीसदी से अधिक जंग के खिलाफ यूएचपीएफआरसी के अलावा ग्लास फाइबर रिइन्फोर्स्ड पॉलिमर (जीएफआरपी) की  एक परत को स्तंभ की जैकेट में रखा गया। इस संयोजन ने संतोषजनक तरीके से काम किया। हालांकि, 30 फीसदी से अधिक जंग वाले स्तंभों के साथ रेट्रोफिटिंग काम नहीं आती। इस संदर्भ में आगे अध्ययन की जरूरत है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से स्तंभों की ऊर्ध्वाधर भार वहन क्षमता की क्षमता भी बढ़ जाती है।

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