विभिषिकामय माहौल में मनुष्य कब शांति से जी पाएगा

मंडी। हिमाचल सांस्कृतिक शोध संस्थान एवं नाट्य रंगमंडल की ओर से सतोहल और मंडी में तीन दिवसीय नाट्य समारोह का आयोजन किया गया। इसमें बांग्ला नाटककार गौतम चक्रवर्ती द्वारा लिखित नाटक नित्य निठुर द्वंद्व और शंकर शेष के नाटक एक और द्रोणाचार्य का मंचन किया गया। रविार सायं गांधी भवन में नित्य निठुर द्वंद्व के साथ ही इस तीन दिवसीय नाट्य समारोह का समापन हो गया। मशहूर नाट्य निर्देशक अयन दासगुप्ता द्वारा निर्देशित इस नाटक में महाभारतकाल से लेकर आज के युग तक के विभिन्न काल खंडों में युद्ध की विभिषिका, लूटपाट, मानवीय त्रासदी को उजागर करता यह नाटक अपने आपमें एक नया प्रयोग था। पृथ्वी के आदितम गहरा अंधकारमय प्रदेश से अपना चलना प्रारंभ हुआ, हर दिन का ये दंगा, लूटमार, बलात्कार, हत्या विभिषिकामय कब ये युद्ध समाप्त होगा। हम नहीं जानते उससे कब हम मुक्त होंगे और मनुष्य कब शांति से जी पाएंगे। पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी शहर में जन्में अयन दास गुप्ता निर्देशन, संगीत एवं कोरियोग्राफी आदि के बहुआयामी प्रतिभाशाली कलाकार हैं। वे सतोहल नाट्य अकादमी से लंबे अर्से से जुड़े हुए हैं। इससे पूर्व उन्होंने महाश्वेता देवी के उपन्यास 1084वें की मां का नाट्य निर्देशन वे कर चुके हैं। नाटक में विनय कुमार खरे, जसबीर सिंह, चमन लाल, सुशोभित झा, मन्रपीत सिंह, अमरदीप शर्मा, प्रदीप कुमार, सूरज बाथम, आदित्य आनंद ने अभिनय किया । संगीत अयन दासगुप्ता, प्रकाश व्यवस्था आदित्य आनंद के अलावा प्रस्तुति संयोजन सीमा शर्मा का था। वहीं पर एक और द्रोणाचार्य में मुनीष देव मोहन, सीमा शर्मा, राकेश कुमार, विनय कुमार खरे, जसबीर जस्सी, अमरदीप शर्मा, वंदना शर्मा, अनिल महंत, आदित्य, चमन बंसल आदि ने अपनी-अपनी भूमिका को बखूबी अंजाम दिया।

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