विदेशों में पढ़ने वाले छात्रों के परिजनों पर पड़ रही दोहरी मार, जरूरत की चीजें खत्म

लुधियाना
सांकेतिक तस्वीर
पंजाब से विदेशों में पढ़ने गए छात्रों के परिजनों पर कोरोना वायरस की दोहरी मार पड़ रही है। ज्यादातर पंजाबी कनाडा और अमेरिका में पढ़ाई करने के लिए गए हैं। वहां धीरे-धीरे लॉक डाउन की स्थिति बनती जा रही है। कुछ छात्रों को वहां खाने के लाले पड़ना शुरू हो गए हैं। वहीं सरकार ने उनके काम करने के समय में भी कटौती कर दी है।
ऐसे में उन्हें घर का किराया, बीमा किश्त व खाने-पीने का सामान खरीदने के लिए परिजनों से पैसा मंगवाना पड़ रहा है। पंजाब से विदेशों में पढ़ाई करने जाने वाले ज्यादातर छात्रों के परिजन उन्हें कर्जा लेकर भेजते हैं। पहले साल का खर्च किसी तरह परिजन कर्जा लेकर देते हैं। उसके बाद उम्मीद होती है कि बच्चा वहां काम कर पैसा कमाएगा और अपनी फीस समेत अन्य खर्च निकालना शुरू करेगा।

कोरोना ने अब ऐसे लोगों की योजनाएं ध्वस्त कर दी हैं। कनाडा और अमेरिका में जाने वाले ज्यादातर छात्र रेस्टोरेंट में काम करते हैं। कोरोना के कारण रेस्टोरेंट बंद हो चुके है। काम नहीं मिलने के कारण उनका सारा बजट बिगड़ चुका है। ऐसे एक बार फिर से परिजनों को पैसे का इंतजाम करना पड़ रहा है।

वर्क आवर में कटौती ने बिगाड़ा बजट
कनाडा में शिक्षा लेने वाले छात्र सिन नंबर पर एक हफ्ते में 21 घंटे काम कर सकते हैं। एक माह के अंदर 84 घंटे काम करने पर एक छात्र को लगभग 1200 डॉलर कमाई होती है। इसमें लगभग 400 डॉलर किराया, दो सौ डॉलर ग्रौसरी, 180 से दो सौ डॉलर बस पास, एक सौ डॉलर मोबाइल खर्च आता है।

इसके अलावा कई अन्य खर्च पर छात्र हर माह दो सौ डॉलर खर्च करते हैं। हर माह एक सौ डॉलर किसी तरह बचा लेते हैं ताकि अगले माह की फीस में उसे प्रयोग कर सकें। छात्र हर माह खर्च और आय का पूरा बजट बनाकर चलते हैं। अब सरकार ने 21 से 6 घंटे समय कर दिया है। ऐसे में छात्रों का बजट बुरी तरह से बिगड़ चुका है।

तीन स्टोर घूमने के बाद मिले एक किलो चावल

अलबर्टा (कनाडा) में रहने वाली स्नेहप्रीत ने बताया कि कोरोना को लेकर यहां की सरकार अच्छा काम कर रही है फिर भी हमें काफी मुश्किलों से गुजरना पड़ रहा है। यहां के स्टोर पर नैपकिन और सैनिटाइजर खत्म हो चुके हैं। दो दिन पहले खाने के लिए कुछ सामान लेने के लिए गई थी। तीन स्टोर घूमने के बाद उन्हें सिर्फ एक किलो चावल ही मिले है। फिलहाल खाने पीने का कुछ सामान उनके पास स्टोर है, ऐसे हालात रहे तो क्या होगा कुछ पता नहीं।

बिगड़ चुका है पूरा बजट
स्केचवान में रहने वाले अभिषेक सिंह ने बताया कि उनके पास वर्क परमिट है। कोरोना के कारण काम ही बंद पड़े हैं। सरकार ने कोरोना को देखते हुए वर्किंग घंटों में कटौती कर दी गई है। ऐसे में पूरा बजट बिगड़ चुका है। किराया, बीमा किश्त, राशन इन सबके लिए अब पैसा परिजनों से मंगवाना पड़ रहा है। उम्मीद है कि सरकार इसके लिए कुछ राहत का एलान करेगी। अभी हालात कुछ अच्छे नहीं हैं।

बेटे के लिए भेज रहा हूं पैसा
लुधियाना निवासी रमेश जैन ने बताया कि उन्होंने बेटे नितिन जैन लगभग नौ माह पहले बीसी (कनाडा) पढ़ने के लिए भेजा था। अभी बेेटे से बात हुई है कि खाने-पीने का कोई सामान नहीं मिल रहा है। कामकाज बिल्कुल बंद हो चुके हैं। वह अपने दोस्तों के साथ कमरे के अंदर ही कैद हैं। फिलहाल उनके पास एक माह का राशन है। पैसे नहीं होने के कारण अब वह यहां से उसके लिए पैसा भेज रहे हैं। उनके लिए परेशानी का दौर है।

मानसिक और आर्थिक तौर पर परेशानी
अलबर्टा यूनिवर्सिटी के पुष्कर सभ्रवाल ने बताया कि कोरोना के कारण कनाडा में पढ़ने वाले छात्र इस समय मानसिक और आर्थिक परेशानी से गुजर रहे हैं। खाने-पीने का सामान स्टोर पर नहीं मिल रहा है। दूसरी तरफ इस बात का खौफ सब में है कि अगर कोरोना के कारण किसी छात्र को कोई परेशानी आ गई तो उनकी देखभाल करने के लिए यहां कौन होगा। सभी के परिजन तो भारत में है।

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