वायरस ने बदला अपना रूप, अब बच्चों के लिए है बेहद खतरनाकः शोध

नई दिल्ली

सांकेतिक तस्वीर

अमेरिका में एक साल के कम उम्र के 85 बच्चों में कोरोना की पुष्टि
वायरस के इस नए रूप से भारत में खतरा और बढ़ सकता है
महाराष्ट्र में नौ जून तक दस बच्चों की कोरोना से मौत हुई
विस्तार
कोरोना से सबसे अधिक खतरा बीमार और उम्रदराज लोगों को है। अमेरिका की टेक्सास काउंटी में अब तक एक साल से कम उम्र के 85 बच्चों में कोरोना की पुष्टि हो चुकी है जिससे स्थानीय अधिकारियों के होश उड़ गए हैं।

वायरस के इस नए रूप से भारत में खतरा और बढ़ सकता है क्योंकि यहां करीब डेढ़ करोड़ बच्चे एक साल से कम उम्र के हैं जो वायरस के बदले हुए रूप का शिकार हो सकते हैं। कोरोना से बुरी तरह प्रभावित महाराष्ट्र में नौ जून तक दस बच्चों की कोरोना से मौत हुई है। इसमें से चार बच्चे दस साल से कम उम्र के जबकि छह बच्चे 11 से 18 वर्ष के थे।
एक साल के बच्चों की इम्युनिटी कमजोर
मेयो क्लीनिक के मुताबिक, एक साल से कम उम्र के बच्चों में संक्रमण दुर्लभ है। वायरस की चपेट में आने पर  स्थिति गंभीर हो सकती है। एक साल से कम उम्र के बच्चों की इम्युनिटी  पूरी तरह विकसित नहीं होती है और श्वसन तंत्र भी छोटा और नाजुक होता है। ऐसे में संक्रमण पर सांस संबंधी तकलीफ जल्दी होगी और  हालत तेजी से बिगड़ सकती है।
केस एक
दिल्ली के कलावती सरन चिल्ड्रेन अस्पताल में डेढ़ माह के बच्चे की हालत बिगड़ने पर भर्ती कराया गया था। जांच में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई। बाद में उसकी मौत हो गई।
केस दो
गुजरात के जामनगर स्थित एक अस्पताल में 14 माह के बच्चे की कोरोना से मौत हो चुकी है। बच्चे के माता-पिता मजदूर थे और कोई यात्रा इतिहास भी नहीं था। बच्चे को कोरोना कैसे हुआ ये पता नहीं चल पाया।
अमेरिका में तीन महीने में 2500 बच्चे संक्रमित
सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार बारह फरवरी से दो अप्रैल के बीच अमेरिका में कुल संक्रमितों की संख्या डेढ़ लाख थी। इसमें 2500 बच्चे थे यानि कुल मरीजों में 1.7 फीसदी बच्चे थे। इसी तरह के आंकड़े इटली और चीन में थे जहां बच्चों में संक्रमण की दर अधिक थी।
चीन में 2100 संक्रमित और संदिग्ध बच्चों पर हुए अध्ययन में पता चला था कि एक साल तक के 11 फीसदी नवजातों को गंभीर तकलीफ थी। एक साल से अधिक और पांच साल की उम्र वालों में ये दर सात फीसदी जबकि 16 साल की उम्र वाले बच्चों में ये दर तीन फीसदी तक थी।

 

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