लिव इन रिलेशनशिप के लिए न्यूनतम आयु 21 साल करने पर केंद्र जनवरी तक सौंपे जवाब : हाईकोर्ट

लिव इन रिलेशनशिप के लिए न्यूनतम आयु 21 साल करने पर केंद्र जनवरी तक सौंपे जवाब : हाईकोर्ट

चंडीगढ़

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सहमति संबंध (लिव इन रिलेशनशिप) के लिए न्यूनतम आयु 21 साल करने तथा बिना परिजनों की अनुमति के लड़की की शादी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष करने पर केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि इस मामले में तीन मंत्रालय शामिल हैं ऐसे में उन्हें कुछ मोहलत दी जाए। 

हाईकोर्ट ने केंद्र की दलील स्वीकार करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए जनवरी के अंतिम सप्ताह तक की मोहलत दी है। अगली सुनवाई पर पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ को भी अपना पक्ष रखना होगा। करनाल से जुड़े सुरक्षा के एक मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि भारत का वयस्कता कानून 150 साल पुराना है। इस पुराने कानून में आज की परिस्थितियों के अनुरूप परिवर्तन अनिवार्य है। 

आज जो स्कूल और कॉलेज जाने की उम्र है उसमें सहमति संबंध की बात कहते हुए वयस्क होने की दलील देकर हाईकोर्ट से सुरक्षा की मांग की जा रही है। हाईकोर्ट ने कहा कि आज की परिस्थिति के अनुरूप अब इस दिशा में फैसला लेना जरूरी हो गया है। इस पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा।
 
केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने हाईकोर्ट को बताया कि इस मामले में केंद्र के तीन मंत्रालय शामिल हैं और ऐसे में उन्हें समय दिया जाए। उन्होंने कहा कि वह बाल विवाह निषेध अधिनियम और हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन कर विवाह की न्यूनतम आयु को बढ़ाने (लड़की के विवाह की आयु बिना परिजनों की अनुमति के न्यूनतम 21 वर्ष करने), सहमति संबंध के लिए दोनों का न्यूनतम 21 वर्ष का होना अनिवार्य करने और लड़के व लड़की दोनों की वयस्कता की आयु को 21 वर्ष करने को लेकर अगली सुनवाई पर हाईकोर्ट में हलफनामा सौंप देंगे। हाईकोर्ट ने केंद्र की दलील को स्वीकार करते हुए सुनवाई जनवरी के अंतिम सप्ताह तक स्थगित कर दी। 

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