रेल बजट सत्र में फिर हाथ लगी मायूसी

नालागढ़ (सोलन)। 18 साल बाद कांग्रेस की ओर से उत्तर भारत के रेलवे मंत्री पवन कुमार बंसल के प्रस्तुत बजट में नालागढ़ को रेलवे से जुड़ने सपना साकार नहीं हो पाया है। बजट सत्र में नालागढ़ क्षेत्र के लोगों के हाथों फिर एक बार मायूसी हाथ लगी है। नालागढ़ क्षेत्र को जोड़ने वाली 267 किलोमीटर लंबी घनौली-देहरादून वाया नालागढ़ बद्दी बरोटीवाला सुरजपूर कालाअंब पांवटा साहिब रेलवे लाइन को इस बार के बजट में दरकिनार किया गया और रेल बजट ने इस ट्रैक पर ब्रेक लगा दी है।

पुराने ट्रैक पर रेलवे दौड़ने का सपना रहा अधूरा
आजादी से पूर्व बिट्रिशकाल में नालागढ़ में चलने वाली ट्रेन के इस बार पुन: दौड़ने की आस भी अब थम गई है। इस ट्रैक पर भी रेलवे से जुड़ने के कोई संकेत बजट में नहीं दिए गए। वर्ष 1923 से 1935 तक यहां मालगाड़ी चलती थी, जो पड़ोसी राज्य पंजाब के जिला लुधियाना के समीप दोराहा से चलती थी, जो नालागढ़ के घनसोत, राजपुरा, जगातखाना, मंझौली, ढेरोवाल से होती हुई रोपड़ जाती थी। इस ट्रैक की करीब 25 किलोमीटर लंबाई में से 14 मील रोपड़ तक आते थे और इस हिसाब से हिमाचल का क्षेत्र करीब 12 किलोमीटर और दो किलोमीटर पंजाब क्षेत्र आता था। जमीन के हिसाब से इस ट्रैक पर कोई भी समस्या नहीं थी और इस ट्रैक पर पुन: रेल दौड़ सकती थी।

पंजाब की भूमि आती है कम, हिमाचल की थी ज्यादा
नालागढ़ क्षेत्र के लोगों गोपाल राणा, विक्रमजीत विक्की, प्रवीण विनायक, सौरभ और सलीम मोहम्मद आदि का कहना है कि घनौली से नालागढ़ की दूरी करीब 12 किलोमीटर है और ढेरोंवाल से हिमाचल की सीमा समाप्त होती है, जिसकी दूरी करीब 10 किलोमीटर है। केंद्रीय रेलवे मंत्री को चाहिए था कि इस ट्रैक पर रेलवे चलाते, इस ट्रैक के लिए भूमि विवाद भी नहीं होता।

निराशाजनक है रेलवे बजट : कश्यप
सांसद प्रो. वीरेंद्र कश्यप ने कहा कि रेलवे बजट पूरी तरह से निरुत्साहित और निराशाजनक है। वह घनौली-देहरादून वाया नालागढ़ की हमेशा ही पैरवी करते रहे, लेकिन बजट में इसे कोई अधिमान नहीं मिला है।

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