राणा का दावा नीती घाटी में बनी झील, प्रशासन ने दिए जांच के आदेश

राणा का दावा नीती घाटी में बनी झील, प्रशासन ने दिए जांच के आदेश

देहरादून
उत्तराखंड में गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञानी डा. नरेश राणा ने दावा किया है कि आपदा प्रभावित चमोली जिले में ऋषि गंगा के मुहाने पर झील बन गई है। जिस स्थान पर झील बनी हुई है उस स्थान पर जाकर डा. राणा ने जानकारी जुटाई है।

उन्होंने इसकी रिपोर्ट विवि प्रशासन को भी सौंप दी है। डा. राणा ने बताया कि मलबे से बनी झील के कारण ऋषि गंगा अवरुद्ध हो गई है। जिससे भविष्य में फिर ऋषि गंगा में बाढ़ के हालात बन सकते हैं। उन्होंने इसका वीडियो भी जारी किया है।

शासन ने इस वीडियो को लेकर टीएचडीसी, एनटीपीसी और आईआईआरएस को जांच करने का आदेश दिए हैं। इससे पहले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने भी दो दिन पहले यह आशंका जाहिर की थी। रैणी गांव के लोगों के हवाले से रावत ने कहा था कि झील को लेकर गांव के लोग डरे हुए हैं। इनका कहना है कि झील टूटी तो फिर से तबाही होगी। रावत ने सरकार से आग्रह किया था कि इस मामले की जांच कराए। 

इस मामले में गुरुवार को शासन भी सक्रिय हुआ। आपदा प्रबंधन सचिव एसए मुरुगेशन ने इसके लिए अलग-अलग एजेंसियों को पत्र लिखकर जांच के लिए कहा है। सचिव की ओर से जारी किए गए पत्र में कहा गया कि इस मामले की तहकीकात कर शासन को रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए। 

गुरूवार को नदी में अचानक पानी बढ़ने से बचाव कार्य को कुछ समय के लिए रोका गया था। यह अभी तक साफ नहीं है कि पानी क्यों बढ़ा। विशेषज्ञों की मानें तो इसका मतलब है कि ऊपरी इलाके में अब भी कुछ बदलाव हो रहे हैं। इन बदलावों का तत्काल पता लगाया जाना जरूरी है। ऋषि गंगा जल संग्रहण क्षेत्र में ही रविवार को आपदा आई थी। इसमें दो जल विद्युत परियोजनाएं तबाह हुईं और कई लोगों को जान गंवानी पड़ी। इस जल प्रलय के पीछे हैंगिग ग्लेशियर के टूटने, हिमस्खलन, भारी मात्रा में बर्फ पिघलने आदि को कारण बताया जा रहा है।
जानकारी मिली है कि ऋषि गंगा में झील बन रही है। अभी तक यही लग रहा है कि यह झील रविवार की आपदा के बाद ही अस्तित्व में आई है। जांच के लिए वाडिया, एनटीपीसी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, टिहरी बांध परियोजना आदि को कह दिया गया है। झील कितनी बड़ी है, उससे कितना खतरा हो सकता है, इस विषय में जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
-एसए मुरुगेशन, सचिव आपदा प्रबंधन

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