राजनाथ होंगे भाजपा के नए अध्यक्ष, गडकरी का इस्तीफा

नई दिल्ली VIRENDER KHAGTA

rajnath singh will be new bjp president
भाजपा के अगले अध्यक्ष राजनाथ सिंह होंगे। अब तक दोबारा ताजपोशी के लिए बाट जोह रहे नितिन गडकरी ने मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के साथ ही अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया।

आयकर के छापों के चलते मंगलवार को भाजपा में घटनाक्रम इतनी तेजी से बदला कि अब तक गडकरी के पीछे खड़े राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी राजनाथ सिंह के नाम पर अपनी सहमति दे दी। इस फैसले पर अब भाजपा संसदीय बोर्ड की बुधवार सुबह की बैठक में मुहर लग जाने के बाद राजनाथ नामांकन पत्र भरेंगे। राजनाथ गाजियाबाद से भाजपा सांसद हैं। माना जा रहा है कि वह निर्विरोध चुने जाएंगे।

दरअसल, मंगलवार तक यह लगभग तय था कि गडकरी ही दोबारा भाजपा की कमान संभालेंगे, लेकिन दिनभर मुंबई में पूर्ति समूह को फंड देने वाली कंपनियों की आयकर जांच के चलते गडकरी को लेकर भाजपा संकट में दिखी। हालांकि गडकरी ने साफ कर दिया था कि जिन कंपनियों पर छापे पड़े हैं वे पूर्ति समूह से नहीं जुड़ी हैं।

इधर, यशवंत सिन्हा ने मैदान में कूद कर गडकरी का संकट बढ़ा दिया। उन्हें आडवाणी का करीबी माना जाता है। माना जा रहा है कि संघ पर दबाव बढ़ाने की रणनीति के तहत ही सिन्हा को आगे लाया गया। दरअसल, आडवाणी पूर्ति समूह पर उंगली उठने के बाद से ही गडकरी के पक्ष में नहीं थे और उन्होंने सुषमा स्वराज का नाम आगे बढ़ाया था, लेकिन संघ आडवाणी कैंप के नेता को अध्यक्ष बनाने के लिए सहमत नहीं हुआ।

तब मंगलवार को बदले घटना चक्र के बाद संघ और भाजपा नेताओं के बीच शाम 4.30 बजे से बैठकों का दौर चला। मुंबई के कार्यक्रम में संघ से भैया जी जोशी के अलावा आडवाणी व गडकरी भी मौजूद थे। हालांकि वहां भी आडवाणी और गडकरी के बीच आपस में कोई बात नहीं हुई।

माना जा रहा है कि गडकरी ने तभी संकेत दे दिए थे कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके बाद दिल्ली में अरुण जेटली के आवास पर हुई बैठक में आखिरकार राजनाथ के नाम पर सहमति बनी। हालांकि पूर्व अध्यक्ष वेंकैया नायडू के नाम पर भी विचार किया गया।

बाद में गडकरी ने एक बयान जारी कर कहा कि यूपीए सरकार लगातार उनके खिलाफ दुष्प्रचार करती रही है। इसलिए वे नहीं चाहते हैं कि उनकी वजह से पार्टी को कोई मुश्किल हो। इसलिए अब दोबारा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।

भाजपा नेता हैं सक्षम: संघ
भाजपा के पास सक्षम नेता हैं जो अपने अध्यक्ष का चुनाव कर सकते हैं और हम (संघ) उनके फैसले को पूरा समर्थन देंगे।- सुरेश जोशी, आरएसएस महासचिव

यशवंत का दबाव काम आया
गडकरी से इस्तीफा दिलवाने में यशवंत सिन्हा का दबाव काम आया। मंगलवार को उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर दी। उन्होंने शाम को पार्टी के चुनाव अधिकारी थावर चंद गहलोत से नामांकन पत्र और वोटर लिस्ट मंगवाई। उन्होंने पार्टी नेता शत्रुघ्न सिन्हा से भी मुलाकात की। इसके बाद यह तय लगने लगा कि गडकरी निर्विरोध चुनाव नहीं जीत सकेंगे।

सूत्रों के अनुसार पार्टी संविधान के अनुसार सिन्हा ने अपने नाम के प्रस्ताव के साथ सौ पार्टी नेताओं का समर्थन जुटा लिया था। रात को जैसे ही गडकरी ने इस्तीफा दिया, यशवंत सिन्हा ने भी चुनाव नहीं लड़ने की बात कह दी। इससे पहले सुबह महेश जेठमलानी आरोप लगा चुके थे कि उन्हें पार्टी चुनाव लड़ने से रोक रही है।

पार्टी हित में अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हुआ
भाजपा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद मंगलवार को नितिन गडकरी ने कहा कि वे पार्टी हित में अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हुए हैं। गडकरी ने कहा कि वे नहीं चाहते कि उनके खिलाफ लगे वित्तीय गड़बड़ी के आरोपों का पार्टी के ऊपर असर पड़े।

गडकरी की ओर से जारी लिखित बयान में कहा गया है कि वे कुछ भी गलत अथवा अनुचित न करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन यूपीए सरकार उनके खिलाफ गलत बातें फैलाने में लगी हुई है। उनका मकसद मुझे और मेरी पार्टी को नुकसान पहुंचाना है।

गडकरी ने कहा कि उनका हमेशा से कहना रहा है कि वे इस मामले की स्वतंत्र जांच के लिए तैयार हैं। साथ ही गडकरी ने कहा है कि वे नहीं चाहते कि उनके ऊपर लगे आरोपों का भाजपा के हित पर असर पड़े। इसीलिए उन्होंने दोबारा पार्टी अध्यक्ष नहीं बनने का फैसला किया है।

गडकरी पर गंभीर आरोप
– विदर्भ के उमेद तालुका में उनकी कंपनी ने किसानों की जमीन हड़पी।
– किसानों के लिए बने बांध का पानी गडकरी की कंपनियों को।
– गडकरी के पूर्ति समूह में कई ऐसी कंपनियों का निवेश जिनका अस्तित्व ही नहीं।
– पूर्ति समूह की कंपनियों के मुंबई की झुग्गियों में फर्जी पते।
– गडकरी के ड्राइवर और अकाउंटेंट कंपनियों के निदेशक।
– पूर्ति पावर और शुगर लिमिटेड में उस कंपनी का पैसा लगा जिसे गडकरी ने महाराष्ट्र का लोकनिर्माण मंत्री रहते हुए फायदा पहुंचाया।
– अपनी राजनीति में गडकरी कांग्रेस के नेताओं को बचाते हैं और कांग्रेस के नेता उन्हें।

राजनाथ सिंह का राजनीतिक कैरियर
2009 : लोकसभा सदस्य चुने गए
जनवरी 2008 : अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के अलावा पार्टी के अध्यक्ष पद पर लगातार तीन साल तक बने रहने का रिकॉर्ड राजनाथ सिंह ने बनाया
2005: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त
2003-2004 : केंद्रीय कृषि मंत्री बने
अक्तूबर 2000-मार्च 2002 : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
1999-2000 : भाजपा सरकार में केंद्रीय परिवहन मंत्री रहे
1994-1999 : राज्यसभा के लिए चुने गए
25 मार्च 1997 : उप्र भाजपा के अध्यक्ष नियुक्त
1977-1980 : उप्र विधानसभा सदस्य चुने गए
1975 : जनसंघ के अध्यक्ष बने
1964 : आरएसएस से जुडे़

Related posts