यमुनोत्री की राह में रोड़े ही रोड़े

बड़कोट (उत्तरकाशी)। प्रशासनिक अधिकारी भले ही हाईवे से यमुनोत्री धाम पहुंचे हो, लेकिन श्रद्धालुओं के लिए राह में तमाम रोड़े खड़े हैं। यमुनोत्री हाईवे पर सफर करना बेहद जोखिम भरा है, वहीं पैदल राह भी आसान नहीं है। यमुना का रुख यमुनोत्री मंदिर की ओर होने से खतरा अभी बरकरार है।
आपदा के बाद करीब साढ़े तीन माह बाद शनिवार को डीएम डा. पंकज पांडेय ने कई विभागों के अधिकारियों के साथ यमुनोत्री धाम पहुंचकर दूसरे दौर की यात्रा का शुभारंभ कर दिया। डीएम के मुताबिक यमुनोत्री मार्ग छोटे वाहनाें के लिए खुल गया है और एक सप्ताह में भारी वाहनों लायक तैयार हो जाएगा। हालांकि धरातल पर हकीकत कुछ और बया कर रही है। बाडिया, असनोलगाड, जंगलचट्टी, हनुमानचट्टी आदि करीब आधा दर्जन स्थानों पर सड़क बेहद जोखिम भरी है। खुद डीएम के काफिले में शामिल कई वाहनों को धक्के मार कर निकालने पड़े।
जानकीचट्टी से यमुनोत्री तक पांच किमी का पैदल ट्रैक भी जगह-जगह फिसलन के कारण खासा जोखिम भरा है। आपदा से खतरे की जद में आए यमुनोत्री मंदिर को भी अभी तक सुरक्षित नहीं किया जा सका है। सिंचाई विभाग आपदा मद से मिले 10 लाख के बजट से कुछ मजदूर लगाकर कछुआ चाल से काम करा रहा है। धाम में बिजली, पानी के इंतजाम भी नहीं किए हैं।

आक्रोशित हैं तीर्थ पुरोहित
बड़कोट। प्रशासन के लापरवाह रवैये से यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहित खासे आक्रोशित हैं। मंदिर समिति के पवन उनियाल, रमण प्रसाद, सुभाष उनियाल, खिलानंद, जयप्रकाश उनियाल आदि का कहना है कि सरकार यात्रा शुरू कराने के दावे तो कर रही है, लेकिन आपदा में बदहाल व्यवस्थाएं अभी तक दुरुस्त नहीं की हैं।

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