मोहल्ला क्लीनिक-शिक्षा पर पड़ रहा बुरा असर, राजनीतिक रंजिश से वर्बाद हो रही है दिल्ली

मोहल्ला क्लीनिक-शिक्षा पर पड़ रहा बुरा असर, राजनीतिक रंजिश से वर्बाद हो रही है दिल्ली
नई दिल्ली

आम आदमी पार्टी का आरोप है कि भाजपा के इशारे पर पेंशन फंड रोकने के साथ-साथ दिल्ली सरकार के कार्यों में में बाधा डाली जा रही है। इससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी ने केंद्र सरकार से इस मामले पर हस्तक्षेप कर दिल्ली की जनता के लिए किए जाने  वाले कार्यों को सुचारू बनाए रखने की बात कही है।

mcd
mcd – फोटो

दिल्ली में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच विभिन्न मुद्दों पर राजनीतिक टकराव बना हुआ है। दोनों दलों के बीच लड़ाई के कारण अब तक दिल्ली को उसका मेयर नहीं मिल सका है तो आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि मोहल्ला क्लीनिक और कुछ पेंशन सेवाओं के लिए धन आवंटन भी रोक दिया गया है। इससे दिल्ली की आम जनता के कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

राजधानी दिल्ली में स्थानीय सेवाओं को देने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी नगर निगम की है। नगर निगम का चुनाव परिणाम सात दिसंबर को ही आ गया था, लेकिन दोनों दलों के बीच राजनीतिक टकराव के कारण मेयर पद पर किसी की नियुक्ति नहीं हो सकी। उपराज्यपाल वीके सक्सेना के कार्यालय द्वारा जारी की गई सूचना के आधार पर 24 जनवरी को एक बार फिर मेयर पद के लिए मतदान होने की बात कही गई है।

हालांकि, नामित पार्षदों के पहले शपथ ग्रहण के मुद्दे पर अब तक दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बन पाई है। आशंका है कि इससे एक बार फिर टकराव बढ़ सकता है और नई तिथि पर भी मेयर मिलने में रुकावटें आ सकती हैं। हालांकि, सूत्र बताते हैं कि दोनों दलों के बीच टकराव से होने वाले नुकसान को बचाने के लिए इस बार मार्शलों की मदद से शपथ ग्रहण कराकर मेयर बनाने की राह निकाली जा सकती है। इस बीच नगर निगम में जनता के कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

आम आदमी पार्टी का आरोप है कि भाजपा के इशारे पर पेंशन फंड रोकने के साथ-साथ दिल्ली सरकार के कार्यों में में बाधा डाली जा रही है। इससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी ने केंद्र सरकार से इस मामले पर हस्तक्षेप कर दिल्ली की जनता के लिए किए जाने  वाले कार्यों को सुचारू बनाए रखने की बात कही है।

अपनी नाकामी न ढकें केजरीवाल-सिसोदिया: भाजपा 
दिल्ली भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि दिल्ली और फिनलैंड की तुलना करना बेमानी है। फिनलैंड में प्रति 269 छात्रों के लिए एक सरकारी स्कूल उपलब्ध है तो दिल्ली में औसतन 3897 छात्रों के लिए एक स्कूल उपलब्ध है। दिल्ली के 90 प्रतिशत उच्चत्तर माध्यमिक स्तर स्कूलों में विज्ञान एवं कॉमर्स नहीं पढ़ाया जाता। इससे दिल्ली के छात्रों के वैज्ञानिक-डॉक्टर बनने की राह हमेशा के लिए बंद कर दी गई है। यहां स्कूलों में प्रिंसिपल-शिक्षक और कमरे तक उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन इन कमियों को दूर करने की बजाय केजरीवाल और सिसोदिया एक दूसरे की पीठ ठोंकने का काम करते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए हमेशा आरोप लगाने की राजनीति का इस्तेमाल करती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार शिक्षकों को ट्रेनिंग के नाम पर विदेश भेजने पर उतारू है, लेकिन उसका दिल्ली के स्कूलों की व्यवस्था सुधारने पर कोई ध्यान नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को ब्लेमगेम पॉलिटिक्स करने की बजाय जनता के हितों के लिए काम करना चाहिए।

Related posts