भारत में नेपाल की टेलीकॉम कंपनियां कर रहीं घुसपैठ, सीमांत क्षेत्र में नेटवर्क न होने का उठा रहीं फायदा

धारचूला(पिथौरागढ़)
Uttarakhand: Nepal telecom Companies intrusion in Frontier Area in dharchula india
उत्तराखंड में धारचूला के सीमांत क्षेत्र व्यास और दारमा घाटी में भारतीय संचार कंपनियों का नेटवर्क नहीं होने का फायदा नेपाली संचार कंपनियां उठा रही हैं। स्थिति यह है कि यहां छह हजार से ज्यादा की आबादी नेपाली संचार कंपनियों के सिम का इस्तेमाल कर रही है।

तहसील मुख्यालय से 20 से 30 किलोमीटर दूर पय्यापौड़ी ग्राम पंचायत के पातल, थोड़ा, और ग्राम पंचायत बलुवाकोट के कई तोकों में कोई भी सरकारी संचार व्यवस्था नहीं है। इसके चलते छह हजार से ज्यादा लोग नेपाली नेटवर्क का सहारा लेने को मजबूर हैं। लोगों का कहना है कि बलुवाकोट में स्थित बीएसएनएल टावर से सिगनल कुछ ही तोकों में पकड़ते हैं।

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ग्रामीण को फोन करने को लेकर दो से तीन किलोमीटर दूर नेटवर्क वाली जगहों पर जाना पड़ता है या फिर दूर दराज तोकों के लोगों को नेपाली नेटवर्क का सहारा लेना पड़ता है। दोनों गांव के पूर्व प्रधान और अन्य जनप्रतिनिधियों ने कई सालों से प्रशासन को  ज्ञापन देते आ रहे हैं। इसके बाद भी व्यवस्थाओं में सुधार को लेकर कोई प्रयास नहीं किया जा रहे हैं।

जिला पंचायत सदस्य ने डीएम को दिया ज्ञापन
दोनों गांव के संचार और अन्य समस्याओं को लेकर जिपं सदस्य जीवन ठाकुर ने डीएम को ज्ञापन देकर व्यवस्थाओं में सुधार की मांग की। उन्होंने कहा कि सात दशकों से सीमांत के 62 ग्राम पंचायतों में सरकारी संचार की कोई उचित व्यवस्था नहीं है।

जबकि नेपाल ने जिला मुख्यालय और सीमांत चीन बॉर्डर तक कई साल पहले ही संचार सुविधा पहुंचा दी है। सीमांत में संचार की व्यवस्था नहीं होने से नेपाली टेलीकॉम कंपनी भारत मे घुसपैठ कर रही है। जो देश की सुरक्षा के लिए  लिहाज से बड़ा खतरा है। जीवन ठाकुर का कहना है। उन्होंने  जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से इस ओर ध्यान देने की मांग की है।ये बोले सीमांत के लोग
दारमा घाटी में अभी तक कोई भी सरकारी या प्राइवेट संचार व्यवस्था नहीं है। मोबाइल नेटवर्क के लिए बीएसएनएल की ओर से दारमा व्यास लैंडस्केप में टॉवर लगाए जाने की खबर 3-4 साल से सुन रहे हैं। लेकिन ये आज तक धरातल में नजर नहीं आई। चौंदस के कुछ गांव वाले नेपाली नेटवर्क का उपयोग कर रहे हैं। सीमांत के गरीब लोगों के लिए सैटलाइट फोन सुविधा ज्यादा लाभदायक सिद्ध नहीं हो रही है।
बिशन सिंह बोनाल आईएफएस सेवानिवृत्त, एडीजी प्रॉजेक्ट टाइगर भारत सरकार

दारमा और व्यास घाटी में उचित विकास नहीं होना मुख्य रूप से उचित संचार व्यवस्था के साथ साथ बिजली, स्वास्थ्य को मानता हूं। सीमांत में मोबाइल नेटवर्क होने पर हमारे घाटी के लोगों की काफी परेशानियां दूर हो जाती। दुर्गम क्षेत्र होने से कोई घटना या आपदा आने पर लोगो को अपने परिजनों और संबंधित विभाग को सूचना देने काफी परेशानी होती है। दूसरी समस्या बिजली की है।
पूरन सिंह सेलाल , सेवानिवृत्त उप महाप्रबंधक ओएनजीसी और अध्यक्ष दीलिंग दारमा सेवा समिति धारचूला

हमारा सीमांत क्षेत्र आपदा के दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र है। दशकों से इन क्षेत्रों में संचार सेवा का ना होना ये दर्शाता है कि पूर्व और वर्तमान सरकार कितनी सवेंदनशील हैं। यहां के बाशिंदे हमारी देश की सुरक्षा की दृष्टी से हमारे सेना की आंख और कान हैं। पर आजादी के इतने सालों के बाद भी संचार व्यवस्था का ना होना और सीमांत क्षेत्र के लोगों की उपेक्षा है।
योगेश गर्ब्याल , माउंट एवरेस्ट विजेता गर्ब्याग

हमारा सीमांत चीन और नेपाल सीमा से जुड़ा होने से सामरिक दृष्टि अति महत्वपूर्ण है। चीन समय -समय पर देश की अन्य सीमा में विवाद करता रहता है। सीमांत में फिलहाल सड़क जुड़ गई है। उसी प्रकार केंद्र सरकार और राज्य सरकार को सीमांत को अति शीघ्र मोबाइल टांवर की सुविधा देनी चाहिए।
जीवन ठाकुर,  जिला पंचायत सदस्य बलुवाकोट।

 

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