एनआईए की एक विशेष अदालत ने बुधवार को खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करने की साजिश रचने के आरोप में दोषी ठहराए गए दो आरोपियों को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई। दोनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की संबंधित धाराओं के अलावा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था।
मुकदमे की सुनवाई के दौरान हरपाल सिंह उर्फ राजू और गुरजीत सिंह निज्जर ने एनआईए के मामलों के विशेष न्यायाधीश एएम पाटिल के समक्ष अपना दोष स्वीकार किया। साथ ही उन्होंने अनुरोध किया कि उन्हें कम से कम सजा दी जाए क्योंकि वे अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं। अदालत ने दोनों को पांच-पांच साल की कैद की सजा सुनाई है।
एनआईए को सौंपी गई थी जांच
हरपाल की गिरफ्तारी के साथ महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते ने 2 दिसंबर 2018 को पहली बार मामला दर्ज किया था। हालांकि, बाद में इस मामले को एनआईए को सौंप दिया गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने दावा किया कि हरपाल और गुरजीत ने दो अन्य गिरफ्तार आरोपियों के साथ मिलकर अलग खालिस्तान राज्य बनाने के उद्देश्य से सिख उग्रवाद को पुनर्जीवित करने की साजिश रची थी।
सजा पाए दोनों आरोपियों ने मारे गए आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले और जगतार सिंह हवारा (पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के लिए दोषी) का भी समर्थन किया था। समर्थन करते हुए उनकी प्रशंसा में सोशल मीडिया पर संदेश, ऑपरेशन ब्लू स्टार और प्रतिबंधित बब्बर खालसा इंटरनेशनल से संबंधित वीडियो पोस्ट किए। अभियोजन पक्ष ने कहा कि कमजोर सिख युवाओं को खालिस्तान आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाता है। एनआईए ने कहा कि मुख्य साजिशकर्ता गुरजीत सिंह कुछ सालों से साइप्रस में रह रहा था। हालांकि, अन्य दो आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलेगा।