भारत ने चीन से कहा, गतिरोध वाली सभी जगहों से हटें सेनाएं, तभी घटेगी सीमा पर सैनिकों की तैनाती

भारत ने चीन से कहा, गतिरोध वाली सभी जगहों से हटें सेनाएं, तभी घटेगी सीमा पर सैनिकों की तैनाती

नई दिल्ली/बीजिंग
भारत ने चीन से स्पष्ट रूप से कहा, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध वाली सभी जगहों से सेनाओं को हटाया जाना जरूरी है, तभी दोनों पक्ष सीमा पर बाकी जगहों से सैनिकों की तैनाती घटाने पर विचार कर सकते हैं। पैंगोंग झील से सैनिकों के हटने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ 75 मिनट तक टेलीफोन पर बातचीत में जोर देकर कहा, दोनों पक्षों को अब पूर्वी लद्दाख में एलएएसी से सटे बाकी के मुद्दों को भी जल्द से जल्द हल करना चाहिए।

विदेश मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी बयान के मुताबिक, विदेश मंत्री ने कहा, सीमा का मुद्दा सुलझने में वक्त लग सकता है, मगर सीमा पर शांति और सद्भाव बिगड़ने या हिंसा होने से दोनों देशों के रिश्ताें पर खराब असर पड़ेगा। इस बातचीत में जयशंकर ने सैनिकों की वापसी की स्थिति और दोनों देशों के आपसी रिश्तों की भी समीक्षा की। दोनों देशों के मंत्री समय पर विचारों के आदान-प्रदान के लिए हॉटलाइन संपर्क स्थापित करने पर भी सहमत हो गए हैं। जयशंकर ने यह भी कहा, दोनों पक्षों को लगातार कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के जरिये संपर्क बनाए रखना चाहिए। बातचीत में वांग ने सीमावर्ती इलाकों में प्रबंधन और नियंत्रण की व्यवस्था में सुधार की जरूरत बताई, वहीं जयशंकर ने दोनों पक्षों को शांति और सद्भाव की बहाली पर बनाए रखने पर जोर दिया, जो द्विपक्षीय रिश्तों के विकास के लिए बेहद जरूरी है।

मॉस्को में बनी सहमति को लागू करने पर हुई चर्चा
जयशंकर ने सीमा गतिरोध पर मॉस्को समझौते के क्रियान्वयन पर चर्चा की। उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से इतर 10 सितंबर, 2020 में मॉस्को में वांग यी के साथ अपनी बैठक का जिक्र किया, जिसमें भारतीय पक्ष ने सीमा पर आक्रामक बर्ताव और यथास्थिति बदलने की चीन की एकतरफा कोशिश को लेकर चिंता जताई थी। जयशंकर ने कहा, मॉस्को में पिछले साल हुई इस बैठक में हम इस बात पर सहमत थे कि सीमा पर अभी जो हालात हैं, वे किसी के भी हित में नहीं हैं। दोनों देशों के सीमा पर तैनात सैनिकों को अपनी बातचीत जारी रखनी चाहिए और टकराव वाली जगहों से तेजी से हटें और तनाव घटाएं।  पिछले वर्ष 10 सितंबर को मॉस्को में हुई इस बैठक में जयशंकर और वांग यी ने पांच बिंदुओं पर सहमति जताई थी। 

चीनी विदेश मंत्री ने कहा, भरोसे की राह पर चलें दोनों देश
वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, वांग ने कहा, चीन और भारत को आपसी भरोसे की सही राह पर चलना चाहिए और पड़ोस के बडे़ देशों के साथ सहयोग करना चाहिए। दोनों देशों के बीच संदेह और अविश्वास न हो और न ही आपसी रिश्ते नकारात्मक राह पर जाने पाएं। उन्होंने कहा, सीमा मसले का सही तरीके से सुलझाया जाना चाहिए, ताकि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को दुष्चक्र में फंसने से बचाया जा सके। वांग ने भी पैंगोंग के बाद हुई प्रगति पर संतोष जताया और कहा, सीमावर्ती इलाकों में शांति बहाली के लिए यह बेहद अहम कदम है।

भारत ने दिया भरोसे का मंत्र, वांग ने भी किया समर्थन
बातचीत में भारतीय पक्ष ने रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए तीन आपसी सहमतियों का प्रस्ताव दिया। ये हैं साझा सम्मान, साझी संवेदनशीलता और साझा हित। भारत के इस मंत्र का वांग ने भी समर्थन किया। उन्होंने दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों के दीर्घकालिक दृष्टिकोण की अहमियत पर भी सहमति जताई।

यूएई के विदेश मंत्री के साथ जयशंकर ने द्विपक्षीय सहयोग पर की चर्चा
वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायेद अल नहयान के साथ शुक्रवार को बातचीत की और दोनों देशों के बीच बढ़ते द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की। जयशंकर ने बातचीत के बाद ट्वीट किया, हमारी अभूतपूर्व मित्रता की फिर से पुष्टि हुई। विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायेद अल नहयान का भारत में स्वागत करना हमेशा अच्छा रहा है। चर्चा के दौरान हमारे साझा उद्देश्यों एवं हितों को रेखांकित किया गया। गौरतलब है कि जयशंकर ने पिछले वर्ष नवंबर में यूएई का दौरा किया था और वहां के विदेश मंत्री की भारत यात्रा इसके दो महीने बाद हो रही है। 

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