भारत के विरोध के बीच पाकिस्तानी ग्वादर बंदरगाह चीन के हवाले

इस्लामाबाद: भारत में सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाने वाली एक पहल के तहत पाकिस्तान और चीन ने रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पाकिस्तान स्थित ग्वादर बंदरगाह को चीन की कंपनी के सुपुर्द करने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

समझौते के तहत अरब सागर स्थित इस बंदरगाह पर पाकिस्तान का अधिकार बना रहेगा लेकिन इसके संचालन से होने वाले मुनाफे में चीन की कंपनी का हिस्सा होगा।

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत स्थित ग्वादर बंदरगाह पर अब चीन की ‘चाइना ओवरसीज पोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड’ का पूरी तरह कब्जा होगा। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने इस अवसर पर कहा कि इस समझौते से पाकिस्तान और चीन के बीच रिश्तों को नया बल मिलेगा और इससे दोनों देशों के बीच राजनीतिक सहयोग का विस्तार आर्थिक सहयोग के क्षेत्र में होगा।

पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का संचालन चीन की कंपनी को दिए जाने से दोनों देशों के बीच गहराते रिश्तों का पता चलता है और इससे आधारभूत परियोजनाओं के विकास में चीन पर पाकिस्तान के बढ़ते भरोसे का भी पता चलता है। जरदारी ने कहा कि सिनझांग से ग्वादर बंदरगाह के जरिये पश्चिम एशियाई क्षेत्र को जोडऩे से दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ेगा।

ग्वादर बंदरगाह का चीन के लिये विशेष महत्व है। क्योंकि उसका 60 प्रतिशत तेल खाड़ी देशों से आता है जो कि इस बंदरगाह के नजदीक पड़ता है।

समझौते पर ग्वादर पोर्ट अथारिटी के चेयरमैन सैयद परवेज अब्बास, सेना संचालित नेशनल लालिस्टिक प्रकोष्ट के मेजर जनरल अश्गर नवाज, एकेडी सिक्युरिटी के चेयरमैन अकील करीम धेदी और चाइना ओवरसीज पोर्ट हाल्डिंग्स के लिओ फांग तथा पोर्ट आफ सिंगापुर अथारिटी के प्रतिनिधि फैसल जावेद ने हस्ताक्षर किए।

चीन ने इस बदंरगाह के निर्माण के लिए शुरुआत में 75 प्रतिशत धन उपलब्ध कराया है। बंदरगाह के निर्माण पर 25 करोड़ डालर का खर्च रखा गया है। पाकिस्तान सरकार ने 30 जनवरी को ग्वादर बंदरगाह के प्रबंधन का अधिकार सिंगापुर से चीन को हस्तांतरित किया।

वहीं दूसरी तरफ, रक्षा मंत्री एके एंटनी ने नाराजगी जताते हुए इस महीने की शुरुआत में कहा था कि रणनीति दृष्टि से महत्वपूर्ण ग्वादर बंदरगाह को चीन के हवाले करने का पाकिस्तान का फैसला गंभीर चिंता का विषय है। एंटनी ने कहा ‘‘चीनी अब उस बंदरगाह का निर्माण कर रहे हैं। एक वाक्य में मैं कह सकता हूं कि यह हमारे लिए चिंता की बात है। मेरा जवाब सरल और सीधी बात है।’’

ग्वादर बंदरगाह रणनीतिक लिहाज से काफी अहम स्थिति में है। यह अरब सागर और फारस की खाड़ी के हिसाब से महतवपूर्ण स्थिति में है और वैश्विक तेल आपूर्ति के सबसे व्यस्त मार्ग हार्मुज जल डमरु से करीब 400 किलोमीटर ही दूर है। पहले इसका संचालन सिंगापुर की पीएसए इंटरनेशनल द्वारा किया जाता रहा है।

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