भारत के तीसरा चंद्र मिशन को मिला अमेरिका, यूरोप-ऑस्ट्रेलिया की एजेंसियों का समर्थन

भारत के तीसरा चंद्र मिशन को मिला अमेरिका, यूरोप-ऑस्ट्रेलिया की एजेंसियों का समर्थन

इसरो ने भारत का तीसरा चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ शुक्रवार को लॉन्च कर दिया। इस मिशन में यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका सहित विभिन्न अंतरिक्ष एजेंसियों का भी सहयोग मिला। बता दें, चंद्रयान-3 मिशन इसरो की मून क्राफ्ट सीरीज का ताजा मिशन है। यह इंटरप्लेनेटरी स्पेसफ्लाइट के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी को प्रदर्शित करेगा और इसका लक्ष्य सलेस्चल बॉडी पर भारत की पहली सॉफ्ट लैंडिंग हासिल करना है।

14 दिन चलेगा ऑपरेशन
लैंडर मॉड्यूल लैंडिंग सरफेस के आसपास की सतह के तापमान और भूकंपीय गतिविधि को मापने वाले उपकरणों से लैस है। इसमें नासा ने लेजर रेट्रो रिफ्लेक्टिव भी लगाया है। वहीं, रोवर के उपकरणों का उपयोग लूनर सरफेस मटेरियल की जांच के लिए किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, सतह ऑपरेशन लगभग 14 दिनों तक चलेगा।

अंतरिक्ष मिशन के लिए कम्युनिकेशन सबसे अहम
यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने अपने पोर्टल पर चंद्रयान-3 की लॉन्च का जिक्र करते हुए एक बयान में कहा संचार हर अंतरिक्ष मिशन का एक अनिवार्य हिस्सा होता है और पृथ्वी पर मौजूद ग्राउंड स्टेशन ऑपरेटर हमें अंतरिक्ष यान से सुरक्षित रूप से जोड़े रखते हैं। एजेंसी ने कहा कि ग्राउंड स्टेशन के समर्थन के बिना, अंतरिक्ष यान से डेटा हासिल नहीं किया जा सकता। यूरोपियन स्पेस एजेंसी का कहना है कि इसरो भारत में 32 मीटर गहरे अंतरिक्ष ट्रैकिंग स्टेशन को ऑपरेट करता है। यह उसे अंतरिक्ष यान से टेलीमेट्री और वैज्ञानिक डेटा का पता लगाने, ट्रैक करने, कमांड करने और प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। हालांकि, जब अंतरिक्ष यान एंटीने की पहुंच से बाहर हो जाता है, तो इसरो के संचालकों को उसे ट्रैक करने या कमांड देने की जरूरत होती है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने बताया कि नए विशाल एंटीना और कंट्रोल स्टेशन बनाने में बहुत ज्यादा खर्चा होता है।

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष उड़ान सहयोग को बढ़ावा
एजेंसी के मुताबिक दुनिया भर में कई अंतरिक्ष एजेंसियों और कमर्शियल कंपनियों की तरह इसरो को भी पार्टनर ऑर्गनाइजेशन के स्टेशनों से समर्थन मिलेगा। इससे न केवल लागत में कमी आती है, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष उड़ान सहयोग को भी बढ़ावा देता है। यूरोपियन एजेंसी ने अपने बयान में कहा कि गोनहिली, चंद्रयान-3 केलैंडर मॉड्यूल का समर्थन करेगा। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि रोवर द्वारा प्राप्त डेटा भारत में इसरो के पास सुरक्षित रूप से पहुंचे। गोनहिली के माध्यम से चंद्रयान -3 द्वारा भेजे गए डेटा और टेलीमेट्री को पहले यूरोपियन स्पेस ऑपरेशन सेंटर भेजा जाएगा। इसके बाद उसे विश्लेषण के लिए इसरो को भेजा जाएगा।

कम्युनिकेशन बनाएगा कैनबरा डीप स्पेस
इस बीच कैनबरा डीप स्पेस कम्युनिकेशंस कॉम्प्लेक्स ने ट्वीट किया, ‘गोल्डस्टोन डीप स्पेस कम्युनिकेशंस कॉम्प्लेक्स, हमारा सहयोगी स्टेशन  चंद्रमा पर चंद्रयान 3 मिशन के लिए कम्युनिकेशन बनाए रखेगा।’ बता दें कि कैनबरा डीप स्पेस कम्युनिकेशंस, नासा के डीप स्पेस नेटवर्क का हिस्सा है।

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