बिजली महादेव को विकसित करने की दरकार

कुल्लू। जिला मुख्यालय के साथ लगता ऐतिहासिक धार्मिक स्थल बिजली महादेेव दशकों बाद भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित नहीं हो सका है। धार्मिकता के नाम से विख्यात होने के साथ-साथ यहां की नैसर्गिक वादियां सैलानियों को अपनी ओर बरबस आकर्षित करती हैं। हैरत है कि सरकार, प्रशासन तथा पर्यटन विभाग की अनदेखी के चलते यह स्थल आज तक यह स्थल विकसित नहीं हो सका है। बिजली महादेव में वास करने वाले अधिष्ठाता बिजली महादेव (भोलेनाथ) पर कुल्लूवासियों की ही नहीं, बल्कि देशभर से आने वाले सैलानियों की भी गहरी आस्था जुड़ी हुई है। सुविधाओं के अभाव के बावजूद यहां सालाना हजारों की संख्या में लोग बिजली महादेव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। जिला मुख्यालय से बिजली महादेव का सफर सड़क मार्ग से 20 किलोमीटर लंबा है, जबकि चंसारी नामक गांव से साढ़े तीन किलोमीटर सीधी चढ़ाई का पैदल रास्ता है। हालांकि, धार्ठ तक सड़क का निर्माण किया गया है, लेकिन बदहाल तथा गड्ढों में तबदील सड़क होने से लोग चंसारी से ही पैदल जाना ठीक समझते हैं। यातायात की सुविधा के अभाव में उलट यहां सैलानियों तथा भक्तों के ठहरने के लिए न तो कोई सरकारी रेस्ट हाउस है और न ही कोई होटल। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आवश्यक मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पर्यटन स्थल कैसे विकसित होंगे? स्थानीय निवासी प्रेम चंद, रूप लाल, खीमी राम, बुद्धि सिंह, मनु, फागनु राम, प्रभु, लगन चंद, जगरनाथ, ईशरी राम तथा श्याम शर्मा ने कहा कि यह स्थान लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है। अगर यहां आने वाले पर्यटकों को सारी सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं तो यह एक विश्वविख्यात पर्यटन स्थल बन कर उभर सकता है। इसके साथ ही यहां स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो सकेंगे। इस ओर राज्य सरकार, जिला प्रशासन तथा पर्यटन विभाग क ो बिजली महादेव के लिए विशेष प्लान बनाने की आवश्यकता है।

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