बातचीत: अफसरों और राजनेताओं को बढ़ाना होगा तालमेल, बदलना होगा रवैया

बातचीत: अफसरों और राजनेताओं को बढ़ाना होगा तालमेल, बदलना होगा रवैया

शिमला

नाटकीय घटनाक्रम के बीच वरिष्ठतम आईएएस अधिकारी अनिल खाची मुख्य सचिव पद से हट गए तो गुरुवार दोपहर बाद नए मुख्य सचिव रामसुभग सिंह ने हिमाचल प्रदेश की अफसरशाही की बागडोर संभाल ली। रामसुभग 1987 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। प्रदेश की अफसरशाही की बागडोर संभालने के बाद उनसे अमर उजाला के राज्य ब्यूरो प्रमुख सुरेश शांडिल्य ने विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं अंश :  

प्रश्न: आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी? 
उत्तर: विभागों में सात से आठ-नौ हजार करोड़ रुपये अनखर्चे पड़े हैं। जिन योजनाओं में 60 या 70 फीसदी काम हो चुके हैं, जहां टाइड फंड है, वहां पूरा पैसा खर्च करवाएंगे। जो पैसा अनखर्चा है, उसे भी खर्चेंगे। मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया है, उनकी उम्मीदों पर खरा उतरूंगा। सबसे पहले यही समीक्षा करूंगा कि किस विभाग से कितना काम और कितना पैसा है।  

प्रश्न: कोई मुख्य सचिव हिमाचल को कर्जमुक्त नहीं कर सका, आप कैसे करेंगे? 
उत्तर: बेहतरीन वित्तीय प्रबंधन के लिए वित्त सचिव से मंत्रणा करूंगा। मुख्यमंत्री विकास के कार्यक्रमों को पैसे के अभाव से रोकने वाले नहीं हैं, न ही नौकरशाही रोकना चाहती है।  हमने इन्वेस्टर्स मीट से करीब 90 हजार करोड़ रुपये के एमओयू साइन करने के बाद पहली ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में 13 से 14 हजार करोड़ रुपये के काम शुरू किए। आज जब मैंने उद्योग सचिव का कार्यभार छोड़ा है तो 10 से 12 हजार करोड़ रुपये की दूसरी ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के लिए हम तैयार हैं। तीन-साढे़ तीन हजार करोड़ उद्योग, ढाई हजार पॉवर, तीन हजार करोड़ रुपये का निवेश पर्यटन के क्षेत्र में होगा। 

प्रश्न: कोविडकाल में तो इन्वेस्टर्स मीट को धरातल पर उतारना भी चुनौती होगी? 
उत्तर: कोविड के भयंकर दौर में भी निवेश ड्राइव और इंडस्ट्रियल प्रोग्रेस कमजोर नहीं पड़ी। पहली लहर में भी दूसरी में भी कोविड विकास में बाधा नहीं बना है। हमने चुनौतियों को अवसर में बदला है। कोविड पर स्वास्थ्य सचिव से आज ही जानकारी ले रहा हूं। कोविड के अगले दौर के संकट से हिमाचल प्रदेश को गुजरने नहीं देंगे। 

प्रश्न : राजनीतिक हस्तक्षेप बहुत रहता है तो कैसे काम करेंगे? 
उत्तर : ये बातें दोनों तरफ की होती हैं। कभी-कभी राजनेताओं को लगता है कि अफसर नहीं सुन रहे। अफसरों को लगता है कि हम पर हस्तक्षेप कर रहे हैं। दोनों तरह की बातों में वक्त लगता है। हमें अपना रवैया  पॉजिटिव रखना होगा, तो मिनटों में चीजें हल होंगी। 

प्रश्न: भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में आए तो सोचा था कि चीफ सेक्रेटरी बनेंगे? 
उत्तर: वर्ष 1987 में आईएएस में आया। प्रदेश में एसडीएम पालमपुर रहा। डीसी शिमला रहा। कई विभागों का सचिव रहा। चार साल में ही ऊर्जा, वन, उद्योग और कई अन्य महत्वपूर्ण महकमे देखे। ये उम्र, पॉजिशनिंग आदि पर निर्भर करता है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ा। एनडीए के रास्ते पहले सेना में रहा, मध्य प्रदेश पुलिस सेवा में रहे। माता और पिता की मृत्यु होने के बाद पैतृक स्थान से नाता टूट गया। अब शिमला में ही रहते हैं।

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