चंडीगढ़
2017 के चुनाव में 77.20 प्रतिशत मतदान हुआ तो कैप्टन अमरिंदर सिंह की ताजपोशी हुई। इस बार मतदान कम 68.03 प्रतिशत हुआ है और सत्ता की चाबी भी सभी दल चाह रहे हैं।
पंजाब में मालवा, माझा और दोआबा में इस बार कांटे की टक्कर है। मुकाबला बहुकोणीय है लेकिन सत्ता की डगर किसी के लिए आसान नहीं है। वजह साफ है कि इस बार पंजाब में सत्ता के चाहने वाले कई हैं। अब तक की सियासत में कांग्रेस और अकाली ही आमने -सामने होते थे। पिछले चुनाव से आम आदमी पार्टी मैदान में आ गई और अपनी जगह बनाई। लेकिन इस चुनाव में मतदान प्रतिशत कम होने के कारण समीकरण बदल गए हैं।
भाजपा, शिअद, कांग्रेस, आप, संयुक्त समाज मोर्चा के अलावा दोआबा में हाथी भी चिंघाड़ने के लिए तैयार खड़ा है। कांग्रेस कैप्टन को अलविदा कहने के बाद जहां वापसी के लिए बेताब हैं, वहीं अकाली दोबारा से सत्ता की हनक पाने की कोशिश कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी पिछली बार रह गई कसर पूरा करना चाह रही है तो भाजपा पंजाब में सत्ता की भागीदारी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।