फ़ोन का अधिक प्रयोग आपको बना सकता है मस्तिष्क ट्यूमर का शिकार

फ़ोन का अधिक प्रयोग आपको बना सकता है मस्तिष्क ट्यूमर का शिकार

दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. केबी शंकर बताते हैं कि डिजिटल स्क्रीन का संबंध सीधे मस्तिष्क और उससे जुड़े विकारों से है। इसे लेकर अब तक कई अध्ययन भी सामने आए हैं। हालांकि, जिस तरह कुछ साल पहले तक फेफड़े के कैंसर और धूम्रपान के बीच संबंध स्थापित नहीं हुआ था, उसी तरह फोन और ब्रेन ट्यूमर के बीच संबंध विधिवत स्थापित नहीं है, लेकिन अगले 5-10 साल में यह प्रमाणित हो जाएगा कि मोबाइल फोन की वजह से इसके मामले बढ़ रहे हैं। इसके अलावा तनावपूर्ण जीवन शैली, प्रदूषण और खानपान भी इसके कारण हैं।

  • 11 फीसदी की दर से बढ़ रहे हैं भारत में ब्रेन ट्यूमर के मामले।
  • 2025 तक सालाना 36,258 मामले दर्ज किए जा सकते हैं।
  • 2020 में 32,729 लोगों में ब्रेन ट्यूमर की पुष्टि हुई।

जल्दी जांच से बचेगी जान, एआई मददगार
विशेषज्ञों के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जरिए ब्रेन ट्यूमर की जल्दी पहचान हो सकती है। जिन शहरों में विशेषज्ञता युक्त अस्पताल नहीं है, वहां जिला अस्पतालों में इस तरह की मशीनें होनी चाहिए। मौजूदा समय में ज्यादातर एमआरआई मशीन एआई आधारित हैं, यह मस्तिष्क में ट्यूमर की सही जगह के साथ उसके आसपास की कोशिकाओं के बारे में भी बता सकती हैं।

सभी मामलों में सर्जरी की जरूरत नहीं
नई दिल्ली स्थित जीबी पंत सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉ. दलजीत सिंह बताते हैं कि  हर ट्यूमर की सर्जरी भी जरूरी नहीं होती। अगर मरीज का ट्यूमर बहुत छोटा है, तो पहले दवाएं दी जाती हैं। एक निश्चित समय तक मरीज में दवाओं का असर देखा जाता है। फिर से उसकी एमआरआई कराते हैं और देखते हैं कि ट्यूमर के आकार में कोई बदलाव आया या नहीं। अगर आकार नहीं बदला है तो सर्जरी को टाला भी जा सकता है।

नई तकनीकों ने ऑपरेशन किया आसान
डॉक्टरों के अनुसार, ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी को लेकर अब पहले जैसी स्थिति नहीं है। भारतीय अस्पतालों में कई ऐसी तकनीक मौजूद हैं, जिनके जरिये कम समय, छोटे कट और कम खर्च में ट्यूमर निकाला जा सकता है। इसके अलावा एंडोस्कोपिक ब्रेन ट्यूमर सर्जिकल प्रक्रिया है। गैर-इनवेसिव प्रक्रिया एलआईटीटी यानी लेजर प्रेरित एब्लेशन ट्यूमर थेरेपी और गामा नाइफ का भी इस्तेमाल होता है।

लगातार सिरदर्द है तो…
अगर किसी को लगातार सिरदर्द है तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। बार-बार दवा खाने के बाद भी आराम नहीं मिलता है तो तुरंत चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए।

लक्षण हैं तो जांच कराएं
ब्रेन ट्यूमर को लेकर दूसरी सतर्कता जांच है। अगर किसी को सिरदर्द लंबे समय से है या फिर दूसरा कोई लक्षण है तो सीटी स्कैन या एमआरआई से की जा सकती है।

…लेकिन, घबराएं नहीं
अगर ब्रेन ट्यूमर के मामले में कैंसर का जोखिम नहीं है तो उसे ऑपरेशन के जरिए निकाला जा सकता है। ध्यान रखें कि 100 ट्यूमर ग्रस्त रोगियों में से 25 से 30 ही कैंसर ग्रस्त होते हैं।

फोन का इस्तेमाल कर सकते हैं सीमित
फोन और ब्रेन ट्यूमर के बीच संबंध स्थापित करने के लिए अभी साक्ष्य मिलना बाकी है। हालांकि, आप अगर फोन के संभावित दुष्प्रभावों को लेकर गंभीर हैं तो आप फोन के इस्तेमाल को सीमित कर सकते हैं। या फिर फोन पर स्पीकर और हैंड फ्री के जरिए बातचीत करें। इस तरह मस्तिष्क को फोन के रेडिएशन से दूर रखा जा सकता है। दूसरी, तीसरी और चौथी पीढ़ी के 2जी, 3जी व 4जी फोन 0.7 से 2.7 गीगा हर्ट्ज की रेडिएशन उत्सर्जित करते हैं, जबकि 5जी फोन की फ्रीक्वेंसी 80 गीगा हर्ट्ज तक होती है। रेडिएशन का यह स्तर डीएनए को प्रभावित नहीं करता है। -डॉ. दीपक गुप्ता, न्यूरोसर्जरी,  एम्स दिल्ली

मुख्य लक्षण 

  • सिरदर्द, लगातार उल्टियां
  • रात में नींद खराब होना
  • आंखों की रोशनी कम होना

70 फीसदी मामलों में नहीं निकलता कैंसर

  • अक्तूबर, 2022 में एशियन जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने ब्रेन ट्यूमर के 27% रोगियों में मनोरोग के लक्षण की पुष्टि की।
  • सितंबर, 2022 में इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित दिल्ली एम्स के अध्ययन के अनुसार ब्रेन ट्यूमर के 70% मामले कैंसर ग्रस्त नहीं होते हैं।
  • जनवरी, 2023 में आईसीएमआर के शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि जब कैंसरयुक्त ट्यूमर बढ़ने लगता है तो इससे मस्तिष्क पर दबाव बढ़ने लगता है, जिससे यह जानलेवा होने लगता है।
  • जोखिम : ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है, लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, ब्रेन ट्यूमर सहित अधिकांश कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। ब्रेन ट्यूमर का खतरा 85 से 89 वर्ष की आयु के लोगों में सबसे अधिक होता है।
  • अनुवांशिक स्थितियां : यदि आपके किसी करीबी रिश्तेदार को ब्रेन ट्यूमर हुआ है तो आपको जोखिम सामान्य आबादी के मुकाबले अधिक है। एक करीबी रिश्तेदार यानी माता-पिता, भाई-बहन या बच्चे।
  • अधिक वजन और मोटापा:  अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होने से कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, जिसमें मेनिंगिओमा नामक एक प्रकार का ब्रेन ट्यूमर भी शामिल है।
  • ब्रेन ट्यूमर के प्रकार : इसके 100 से अधिक प्रकार हैं। ट्यूमर मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी के किसी भी हिस्से में शुरू हो सकता है। इनका नाम आमतौर पर उस कोशिका के प्रकार के नाम पर रखा जाता है, जिससे वे विकसित होते हैं। वयस्कों में सबसे आम प्रकार के ब्रेन ट्यूमर को ग्लियोमा कहा जाता है।
  • ब्रेन ट्यूमरब्रेन में शुरू होने वाले ट्यूमर को प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहते हैं, लेकिन शरीर के किसी अंग से कैंसर मस्तिष्क तक पहुंचता है तो उसे द्वितीयक मस्तिष्क कैंसर कहते हैं।

हर साल 24 हजार मौतों की वजह
स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए संसद की स्थायी समिति ने सितंबर 2022 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में साल 2020 के दौरान 32,729 लोगों में ब्रेन ट्यूमर की पुष्टि हुई है।

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ कैंसर रजिस्ट्री (आईएआरसी) द्वारा जारी ग्लोबोकॉन 2018 रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल ब्रेन ट्यूमर की वजह से 24 हजार लोगों की मौत हो रही है।

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