शिमला
सरकारी भूमि पर कब्जा करने के आरोप में घिरे राज्य के पूर्व डीजीपी डीएस मन्हास को नगर निगम से राहत नहीं मिली है। शुक्रवार को सहायक आयुक्त नरेश ठाकुर के कोर्ट ने पूर्व डीजीपी की मामला खारिज करने की अर्जी को रद्द कर दिया है।
पूर्व डीजीपी ने राजस्व रिकार्ड पर सवाल उठाते हुए सरकारी भूमि पर कब्जे के मामले को खारिज करने की मांग की थी। उधर, सहायक आयुक्त के कोर्ट ने मामले की कार्रवाई आगे बढ़ाते हुए डीएस मन्हास से तीन जून तक अपने गवाहों की सूची सौंपने को कहा है।
सूची मिलने के बाद गवाहों को कोर्ट से सम्मन भेजे जाएंगे। पूर्व डीजीपी ने राजस्व रिकॉर्ड पर सवाल खड़े किए हैं। 17 मई को सहायक आयुक्त नरेश ठाकुर की कोर्ट में पत्र देकर पूर्व डीजीपी ने इस मामले को खारिज या सस्पेंड करने की मांग की थी।
डीएस मन्हास का कहना है कि जब उन्होंने भवन बनाया था तो उस समय नायब तहसीलदार सेटलमेंट ने उन्हें उनके भवन के पास सरकारी भूमि नहीं होने का प्रमाणपत्र दिया था। अब नए राजस्व रिकॉर्ड में उनके भवन के कुछ हिस्से को सरकारी भूमि पर दिखाया जा रहा है।
नगर निगम नकार चुका है आरोप
उधर, 23 मई को हुई सुनवाई में नगर निगम ने डीएस मन्हास के आरोपों को नकार दिया है। नगर निगम ने राजस्व विभाग के रिकॉर्ड की सत्यता पर विश्वास जताया है। निगम का कहना है कि पूर्व डीजीपी डीएस मन्हास के भवन की राजस्व विभाग की टीम ने पैमाइश की है।
राजस्व रिकॉर्ड के आधार पर राजस्व विभाग की टीम ने नवबहार जाकर फीते से भवन नापा है। विस्तृत जांच के बाद पूर्व डीजीपी पर 959 वर्ग मीटर की बाउंड्री वॉल नगर निगम की भूमि पर बनाने का आरोप है।
नगर निगम के इस जवाब पर सहायक आयुक्त की कोर्ट ने पूर्व डीजीपी को अपना पक्ष रखने के लिए 27 मई की तिथि निर्धारित की थी लेकिन पूर्व डीजीपी की ओर से इस तारीख को जवाब नहीं दिया गया है।