बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश में प्रदूषित हो रही आबोहवा से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह आहत है। प्रदूषण का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। ठोस कचरे में बढ़ोतरी, औद्योगिक इकाइयों के बढ़ने और वन क्षेत्र घटने से तापमान बढ़ाने वाली गैसों में बढ़ोतरी हो रही है। बिलासपुर दौरे पर आए सीएम वीरभद्र सिंह इससे बेहद आहत और चिंतित दिखे।
तीखी बयानबाजी करने वाले वीरभद्र सिंह यहां शांत दिखे। किसी भी तरह की राजनीतिक टीका-टिप्पणी से उन्होंने परहेज किया लेकिन तापमान में हो रही असामान्य बढ़ोतरी से आहत और चिंतित जरूर दिखे। बोले ‘‘बिलासपुर में तापमान लगातार बढ़ रहा है। गर्मी बहुत ज्यादा है। इलाके को हरा-भरा बनाने की जरूरत है’’।
राज्य में ग्लोबल वार्मिंग और कचरे का सही निष्पादन नहीं होना चिंता का सबब बना है। एंबीएंट एयर क्वालिटी (एएक्यू) यानी मानव जीवन के लिए जरूरी आबोहवा में आश्चर्यजनक परिवर्तन आए हैं। प्रदेश में अलग-अलग भौगोलिक परिस्थिति वाले छह जिलों में पर्यावरणीय वैज्ञानिकों के पांच साल के गहन शोध में भी यह परिणाम सामने आया है।
जीबी पंत हिमालयन एवं पर्यावरण विकास संस्थान हिमाचल इकाई ने वर्ष 2007 से 2012 तक बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, चंबा, मंडी और लाहौल-स्पीति के शहरों में ‘सोलेड वेस्ट मैनेजमेंट एंड एयर पाल्यूशन इन अर्बन टाउन ऑफ हिमालयन रिजन’ विषय को लेकर अध्ययन किया है। वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार इन जिलों में दस से 15 मिनट में सड़ने वाले कचरे की मात्रा कुल कचरे से करीब 51.6 प्रतिशत है। बिलासपुर में यह सबसे ज्यादा 55.3 प्रतिशत है। जबकि केलांग में सबसे कम 46. 3 प्रतिशत। संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. जेसी कुनियान ने इसकी पुष्टि की है।
उधर, पर्यावरण में हो रहे इस बदलाव से सीएम चिंतित भी है और आहत भी। वीरभद्र सिंह ने कहा कि अधिक से अधिक पेड़ लगाने की जरूरत है। बिलासपुर दौरे में उन्होंने कहा कि यहां पर गर्मी बहुत ज्यादा है। पेड़ लगेंगे तो इलाका हराभरा होगा। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को इसके लिए व्यापक योजना बनाने के भी निर्देश दिए।