दर्जा तो बढ़ा, मगर सुविधाएं नहीं

रामपुर बुशहर। सिविल डिस्पेंसरी रामपुर अपग्रेड होकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) तो बन गया, पर सुविधाएं नहीं बढ़ पाई। यहां न तो एक्सरे सुविधा और न ही शूगर, ब्लड जैसे टेस्ट हो पाते हैं। इस कारण, यहां आने वाले मरीजों को सभी आवश्यक टेस्ट के लिए खनेरी या फिर निजी क्लीनिक जाना पड़ता है। अगर यह सुविधाएं यहीं पर मिले तो लोगों को इलाज को अन्यत्र जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
सिविल डिस्पेंसरी को पूर्व सरकार ने चुनावी वर्ष में अपग्रेड करके पीएचसी बनाया था। इसमें दो चिकित्सक, एक फार्मासिस्ट समेत सात पद सृजित किए गए हैं। मौजूदा समय में यहां पर दो चिकित्सक, एक दाई और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तैनात है। फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स और लैब तकनीशियन का पद रिक्त है। खासकर, फार्मासिस्ट न होने से चिकित्सकों को जांच के अलावा दवाईयां देने का कार्य भी स्वयं देखना पड़ रहा है।
इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रोजाना औसतन डेढ़ सौ की ओपीडी रहती है। ऐसे में चिकित्सक मरीज देखें या फिर दवाइयां दें। दूसरी ओर, यहां पर न तो एक्सरे होते हैं और न ही ब्लड, शूगर समेत अन्य आवश्यक टेस्ट। इस पर मरीजों को इन टेस्ट करवाने के लिए दूसरे अस्पतालों की दौड़ लगानी पड़ती है। इस तरह से पीएचसी सुविधाओं के अभाव में मरीजों को खासी दिक्कतें पेश आ रही हैं। सरकार यदि यहां सहयोगी स्टाफ और अन्य सुविधाएं दें तो लोगों को दूसरे अस्पताल तो दूर, खनेरी अस्पताल भी न जाना पड़े।
पीएचसी में तैनात चिकित्सक डा. राजस्वी आजाद को बीएमओ ननखड़ी का भी कार्यभार सौंपा हैं। बतौर बीएमओ उन्हें कई बार ननखड़ी तो कई बार मीटिंग के सिलसिले में शिमला भी जाना पड़ता है। ऐसे में पीएचसी में उपचार को आने वाले मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है। बीएमओ का पद लंबे समय से रिक्त पड़ा हुआ है। इस पद को भरने की तरफ सरकार कोई ध्यान ही नहीं दे रही है।
भाजपा के मंडल अध्यक्ष विजय सिंह बिष्ट ने कहा कि शहर के बीचोंबीच होने के कारण पीएचसी का रामपुर के लोगों के लिए बहुत महत्व है। यहां तमाम सुविधाएं होनी चाहिए ताकि लोगों को किसी दूसरी जगह नहीं जाना पड़े।

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