तैयारियां आधी अधूरी

रुद्रप्रयाग। सरकार की घोषणा के मुताबिक दोबारा केदारनाथ यात्रा शुरू होने में मात्र पांच दिन शेष रह गए हैं, लेकिन तैयारियां अभी आधी अधूरी हैं। गौरीकुंड से ऊपर फिलहाल बिजली सप्लाई बहाल होने की संभावना नहीं है। उरेडा की 100 किलोवाट बिजली के भरोसे केदारनाथ धाम में कुछ ही स्थानों पर बिजली पहुंच रही है। पैदल मार्ग भी सुरक्षित नहीं है। दूसरी ओर, शासन के आला अधिकारी दावा कर रहे हैं कि पांच दिनों में सभी आवश्यक व्यवस्थाएं कर ली जाएंगी।
यात्रा दोबारा शुरू कराने के मामले में लगता है कि सरकारी मशीनरी दबाव में हैं। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के कर्मियों सहित जिम्मेदार पदों पर बैठे कुछ अधिकारी भी सरकार के फैसले से सहमत नहीं है। वह दबी जुबान से कहते हैं कि यात्रियों के लिए पैदल मार्ग को सबसे पहले दुरुस्त किया जाना चाहिए था, मार्ग में सभी आवश्यक व्यवस्थाएं कर ली जाती। धाम से अभी मलबा नहीं हटा है, जेसीबी की मदद से इसे हटाने की व्यवस्था होनी चाहिए थी।

एक बार में 200 यात्री ही जा सकेंगे
केदारनाथ का दौरा कर लौटे मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने बुधवार को कहा कि पैदल मार्ग अभी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। यात्रियों को चलने में दिक्कत हो सकती है। इसे सुधारने के लिए लोनिवि को निर्देश दिए गए हैं। लोगों के खाने-रहने के लिए लंगर की व्यवस्था की जाएगी। अलबत्ता एक बार में करीब 200 लोगों की व्यवस्था हो सकती है। केवल वही लोग केदारनाथ जा सकेंगे, जो फिट हैं। 30 सितंबर को यात्रा शुरू कराने के संबंध में बैठक होगी। जिसमें निर्णय लिया जाएगा कि एक अक्तूबर से यात्रा शुरू हो सकती है कि नहीं।

सुरक्षा कचव तोड़कर बुलाई आफत
केदारघाटी जल प्रलय से हुआ नुकसान प्रकृति जनित ही नहीं बल्कि मानव जनित भी है। केदारनाथ मंदिर के निर्माण में धाम में मौजूद विशाल पत्थरों की कटिंग की गई। पीछे की ओर स्थित यह पत्थर मंदिर के सुरक्षा कवच का काम करते थे। एएसआई के निदेशक डा. रामनाथ सिंह फोनिया कहते हैं कि हमारे पूर्वज तकनीकी दृष्टि से बहुत समृद्ध थे। वह जानते थे कि मंदिर को ग्लेशियर और नदी की बाढ़ से खतरा है, इसलिए पीछे की ओर के पत्थरों को छेड़ा नहीं गया। यह पत्थर ग्लेशियर टूटने या नदी का जल स्तर बढ़ने पर वेग कम कर देते थे। साथ ही यह प्रवाह को मोड़ने में सक्षम थे। पिछले कुछ दशकों में धाम में तेजी से भवनों का निर्माण हुआ। इनके लिए सुरक्षा कवच के पत्थरों को तोड़ दिया गया। यदि यह पत्थर सलामत रहते तो शायद नुकसान कम होता।

धाम तक मोटर मार्ग की मांग
केदारनाथ धाम तक मोटर मार्ग निर्माण के लिए शासन स्तर से अभी तक फैसला नहीं हुआ है। आपदा के धाम तक सड़क की मांग तेज हो रही है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि यात्री दर्शन कर वाहन से तुरंत लौट सकेंगे। इस संबंध में मुख्य सचिव सुभाष कुमार का कहना है कि यह क्षेत्र सेंचुरी एरिया में आता है। फिर भी देखा जाएगा कि बेहतर विकल्प क्या हो सकता है?

वैज्ञानिकों की रिपोर्ट का इंतजार
केदारनाथ मंदिर को मंदाकिनी नदी और ग्लेशियरों से उत्पन्न खतरे से बचाने के लिए शासन को जीएसआई और वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट का इंतजार है।

भुकुंड भैरवनाथ मंदिर पर मंडरा रहा खतरा
वासुकीताल और गांधी सरोवर ट्रेक क्षतिग्रस्त हैं। भारी बारिश से कई स्थानों पर मार्ग पूरी तरह से साफ हो चुका है। केदारनाथ के रक्षक भुकुंड भैरव का मंदिर भी सुरक्षित नहीं है। मंदिर के दोनों ओर भूस्खलन से खाई बन चुकी है।

Related posts