तीन परिवारों पर टूटा दुखों का पहाड़


नगरोटा बगवां (कांगड़ा)। तीन दिन पहले नगरोटा बगवां के बाल मेले में उत्साहपूर्ण शिरकत करते दिखे तीन नौजवानों की हादसे में दर्दनाक मौत से हर कोई गमगीन है। इनमें से दो अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। बलधर-जसौर संपर्क मार्ग पर मंगलवार को हुई घटना में तीन युवकों की मौत ने जहां उनके परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया है, वहीं आपदा प्रबंधनको लेकर लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न चिन्ह लगे हैं। बताया जा रहा है कि अचानक एक के बाद एक गिरे भारी-भरकम पत्थरों से वाहन चालक संभल नहीं पाया और कार पूरी तरह से मलबे में दब गई। लोगों ने कड़ी मशक्कत के बाद पत्थर हटाए और कार से तीन लोगों को बाहर निकाला, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।

पहले कर चुके थे मलबा हटाने का आग्रह
घटनास्थल पर लोगों की ओर से विभाग के खिलाफ रोष स्वरूप गुस्से में की गई नारेबाजी अकारण नहीं थी, लोग पहले भी कई बार घटना स्थल की पहाड़ी पर अटके मलबे को हटाने का आग्रह कर चुके थे। जसौर के वार्ड पंच मनजीत कुमार, प्यारे लाल, दीनानाथ, करनैल और हरनाम सिंह ने बताया कि क्षेत्रवासियों के आग्रह को यदि विभाग ने मान कर पहाड़ी की चट्टानों को पहले ही हटा दिया होता तो आज तीन परिवारों पर दुखों का पहाड़ न गिरता। घटनास्थल पर विभाग की जेसीबी का समय पर न पहुंचना और पुलिस द्वारा घटनास्थल पर देरी से पहुंचने से भड़के क्षेत्रवासियों ने नारेबाजी करके अपना रोष व्यक्त किया।

लोगों ने निकाले शव
हैरत की बात तो यह है कि मलबे में दबी कार से शवों को बाहर निकालने की लोगोें द्वारा लंबे समय तक कोशिश चलती रही, लेकिन एंबुलेंस 108 के अलावा न तो विभाग और न ही प्रशासन से अधिकारी मौके पर पहुंचे। इस हादसे की खबर फैलते ही हर कोई घटनास्थल की तरफ दौड़ पड़ा। बहरहाल इस हादसे ने तीन परिवारों को झकझोर कर रख दिया है। 30 से 40 वर्ष के बीच की उम्र के तीनों युवक विवाहित थे। बड़ोह रोड के नवदीप ठाकुर (सोनू), 53 मील के राजकुमार और घुरकड़ी के धीरेंद्र शर्मा अपने परिवार तथा नन्हे बच्चों को बिलखता छोड़ गए।

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