डिफेंस इंडस्ट्री होंगी मजबूत, ताकत के साथ रोजगार भी बढ़ेगा

डिफेंस इंडस्ट्री होंगी मजबूत, ताकत के साथ रोजगार भी बढ़ेगा

चंडीगढ़
अंबाला, पंचकूला, फरीदाबाद, पलवल, पृथला, बहादुरगढ़, गुरुग्राम व झज्जर में डिफेंस उपकरण बनाने वाली इकाइयां
चंडीगढ़ समेत पंजाब के रोपड़, लालड़ू, मोहाली व हिमाचल के बद्दी, सोलन में भी तैयार होते हैं रक्षा उत्पाद

रक्षा मंत्रालय ने 110 सैन्य उपकरणों के आयात पर रोक लगा दी है। इसी के साथ अगले छह सात साल में घरेलू सैन्य उद्योगों को चार लाख करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट दिए जाएंगे। इससे हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश में स्थित स्थानीय डिफेंस इंडस्ट्रीज को भी बड़ा बूस्टअप मिलेगा। रक्षा उत्पाद विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से स्थानीय इंडस्ट्री को न केवल और मजबूती मिलेगी। बल्कि रक्षा उपकरणों में मेक इन इंडिया की ओर बढ़े कदमों से देश की ताकत के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

देखा जाए तो उत्तर भारत में हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में रक्षा उत्पाद बनाने की कई महत्वपूर्ण एमएसएमई (लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम) इकाइयां है। कुछेक बड़े उद्योग भी हैं। मगर हरियाणा उत्तर भारत में सबसे ज्यादा रक्षा उत्पाद तैयार करने वाला राज्य है।
हरियाणा के अंबाला, पंचकूला, फरीदाबाद, पलवल, पृथला, बहादुरगढ़, गुरुग्राम व झज्जर में रक्षा उपकरण बनाने वाली कई एमएसएमई इकाइयां मौजूद हैं। जो सरकार की ओर से विभिन्न रक्षा उत्पाद बनाने के लिए अप्रूव हैं। इसी तरह चंडीगढ़ समेत पंजाब के रोपड़, लालड़ू और मोहाली व हिमाचल के बद्दी और सोलन में भी रक्षा उत्पाद बनाने वाले उद्योग स्थापित हैं।

विशषेज्ञों को गुणवत्ता की चिंता, कोई समझौता नहीं चाहिए

ग्रुप कैप्टन सतीश भाटिया, रक्षा विशेषज्ञ।
घरेलू रक्षा उद्योगों को बढ़ावा देना वाकई एक बेहतरीन कदम हैं, मगर चुनौतियों भरा है। उनके अनुसार इन उत्पादों के निर्माण से लेकर फील्ड में इनके संचालन तक इन उत्पादों का वर्ल्ड क्लास स्टैंडर्ड कायम रखना एक बहुत बड़ी चुनौती है। देखा जाए तो देश की आर्म्ड फोर्सेस को अभी तक अधिकतर विदेशी निर्मित हथियार व उपकरण इस्तेमाल करने की ही आदत है।

लिहाजा अब जो रक्षा उत्पाद आने वाले सालों में देश में तैयार होंगे, उनकी असली परीक्षा युद्ध, काउंटर टेरेरिज्म व इंसर्जेंसी जैसे हालातों में होगी। इसलिए इन उत्पादों के स्टैंडर्ड चेक वर्ल्ड क्लास रहना चाहिए और इसमें किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होना चाहिए। -डॉ. अनिल जैन, रक्षा उत्पाद विशषेज्ञ।

रक्षा उत्पादों में सरकार की ये पहल वाकई सराहनीय है। क्वालिटी को बनाए रखने में भी ज्यादा दिक्कत नहीं होगी। इसके लिए रक्षा मंत्रालय के तहत अलग से एक निदेशालय डायरेक्टर जनरल ऑफ क्वालिटी एशोयरेंस पहले से ही काम कर रहा है। हमने हाल ही अपना स्वेदशी लाइट काम्बैट एअरक्रॉफ्ट तेजस तैयार कया है। हम ध्रुव भी बना रहे हैं। मैं आश्वस्त हूं कि उन 101 उत्पादों का बाहर से आयात बंद होने के बाद उन्हें देश में ही फौज के लिए बेहतरीन गुणवत्ता के साथ बनाया जा सकेगा। इतना ही नहीं अब इन उत्पादों को निर्यात करने में भी सक्षम होंगे। – ग्रुप कैप्टन सतीश भाटिया, रक्षा विशेषज्ञ।

रक्षा उत्पादों की गोपनीयता बनी रहेगी, नए इकाइयां भी पनपेगी
देश में ही उत्पादन शुरू होने के बाद सबसे बड़ी बात यह रहेगी कि हमारे रक्षा उत्पादों में बढ़ोतरी की गोपनीयता बनी रहेगी। दुश्मन को हमारी ताकत का भी अंदाजा नहीं लग पाएगा। हमारे पास अच्छे मैन पॉवर के साथ-साथ टेक्निकल क्षमताएं भी बेहतर है। हम पहले से ही रक्षा उत्पाद बनाते रहे हैं। मगर इस इंडस्ट्री को बड़े आर्थिक पैकेज का इंतजार था। ये बूस्टअप अब आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत सरकार ने घोषित किया है।

जाहिर है अब इस फील्ड में कई तरह की नई रक्षा उत्पाद संबंधी इकाइयां भी आएंगी। मौजूदा रक्षा इकाइयों का काम भी बढ़ेगा। जिससे इस इंडस्ट्री में रोजगार के भी कई अवसर पनपेंगे। बात स्टैँडर्ड की, इसे चेक करने के लिए डिफेंस अथॉरिटी का अपना सिस्टम हैं। इससे देश की अर्थव्यवस्था भी बेहतर बनेगी। – मेजर जनरल सी. प्रकाश, रक्षा विशेषज्ञ

हरियाणा में तैयार होते हैं ये रक्षा उत्पाद
प्रदेश में अग्नि व ब्रह्मोस मिसाइल, जगुआर व मिराज जैसे लाइट कॉम्बैट एअरक्रॉफ्ट और हेलीकॉप्टर के उपकरण व कल-पुर्जे समेत बुलेट प्रूफ जैकेट, फैब्रीकेटर ऑफ मोबाइल सर्विलांस सिस्टम, मिलिट्री सिम्युलेटरस फॉर वैपन व्हीकल्स, एअरक्रॉफ्टस एंड शिप्स फॉर फ्रेमिंग पर्पस, आर्मी जैकेट्स, बीपी हेलमेट, बॉम्ब ब्लैंकेट्स, कवच प्लेट्स, मिनी अनमैंड एरियल व्हीकल (व्हीकल), एयर फ्लाइट्स के उपकरण, फील्ड आर्टिलरी वैपन सिस्टम, राकेट, मोर्टार, गन, एयर डिफेंस वैपन सिस्टम, टैंक, इंफेंटरी कॉम्बैट सिस्टम, सब सिस्टम ऑफ राडार, राकेट लांचर, ग्रेनेड लांचर, मिसाइल लांचर के उपकरण एवं कलपुर्जे, एम्युनेशन फॉर एंटी एअरक्रॉफ्ट गन, टैंक, डिफेंस रेडियो सिस्टम तैयार किए जाते हैं। इसके साथ-साथ प्रदेश में राडार सीकर्स, ईवी एंड डाटा लिंक एप्लीकेशन, इलेक्ट्रो आप्टिक्स यूनिट, नेवल सिस्टम कंट्रोल एंड कम्युनिकेश्न रैक सिस्टम, सेफिंग एंड आर्मिंग डिवाइस, फ्यूज सेंसर डिवाइस बनाए जाते हैं।

पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल में तैयार होते हैं ये रक्षा उत्पाद
पंजाब में रडार सिस्टम के हर तरह के पार्टस, सेना के सर्विलांस, इंटेलीजेंस, कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम संबंधी उपकरण, डिफेंस के रेडियो सिस्टम के कम्युनिकेशन सिस्टम, बुलेट प्रूफ व्हीकल्स, एआर व्हीकल्स, डिजिटल सिगनल प्रोसेसिंग, साफ्टेवयर फॉर रेडियो समेत डिफेंस के लिए कई डिजिटल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण तैयार होते हैं।

चंडीगढ़ में फील्ड एंड एम्पिटी फ्यूज फॉर आर्टिलरी, शैल्स, मोर्टार बम, ग्रेनेड एंड म्यूनिशन फॉर वार समेत सेफ्टी एंड आर्मिंग डिवाइज, क्लॉक वर्क मैकेनिज्म तैयार होता है। इसके अलावा चंडीगढ़ में सेना की आर्डिनेंस केबल फैक्ट्री भी मौजूद है। जो टैंक से लेकर विभिन्न सैन्य उपकरणों में इस्तेमाल होने वाली बिजली की तारें बनाती हैं।

हिमाचल में एअरक्रॉफ्ट फ्लाइट कंट्रोल सर्वो हाइड्रोलिक कम्पोनेंटस, एअरक्रॉफ्ट एक्टयूटर्स, एअरक्रॉफ्ट रॉड एंडस फिटिंग, जनरल एयरोस्पेस हाइड्रोलिक सिलेंडर, ग्राउंड सपोर्ट इक्यूमेंटस, एयरोस्पेस गियर बाक्स हाउसिंग, फ्यूल कंट्रोल कम्पोनेंटस, टैंक व गन के लिए लैंड बेस सर्वो हाइड्रोलिक कंट्रोल सिस्टम तैयार किए जाते हैं।

 

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