इस दौरान वहां जांच में कोरोना संदिग्ध पाए गए 204 लोगों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती करवाया, जिनमें से 6 लोगों में रविवार को संक्रमण में पुष्टि हुई। इसके बाद 28 मार्च को एसीपी लाजपतनगर ने आयोजकों को फिर से नोटिस भेजा। दिल्ली सरकार को भी जानकारी दी गई। इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
दक्षिण-पूर्व जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी का दावा है कि यह सूचना तभी दिल्ली सरकार और एसडीएम को दे दी गई थी। बताया जा रहा है कि संबंधित एजेंसियों की टीमों ने मौका मुआयना भी किया और डॉक्टरों की टीम भी भेजी गई थीं, परंतु सब खानापूर्ति की गई थी।
यहां से लोगों को निकालने के लिए कुछ नहीं किया गया। क्वारंटीन करने के नाम पर लोगों को मरकज में ही बंद कर दिया गया था। अधिकारी दावा कर रहे हैं कि मेडिकल सुविधाएं दी गई थीं।
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जब यहां के लोगों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ये लोगों को धर्म से अलग करने की साजिश है। कोरोना कुछ भी नहीं है। ये भी कहा जा रहा है कि यहां के एक वरिष्ठ मौलाना कुछ दिन पहले यहां से चले गए थे और वह जाकिर नगर में रहने लगे थे।
उठे रहे ये 5 सवाल
. पास में थाना होने के बाद भी पुलिस ने क्यों नजर नहीं रखी और जानकारी के बाद भी सख्त कदम क्यों नहीं उठाए?
. मेडिकल सुविधाएं देने के बावजूद लोग कैसे कोरोना की चपेट में आए गए?
. दिल्ली सरकार व एसडीएम ने समय से क्यों कदम नहीं उठाए?
. यहां से देश के हिस्सों में गए लोगों की जानकारी कैसे मिलेगी?
डब्ल्यूएचओ की टीम भी पहुंची
दिल्ली सरकार ने पुलिस से तबलीगी जमात के आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज करने को कहा है। इसके तहत देर रात तक आपराधिक लापरवाही का मामला दर्ज कर सकती है।
दिल्ली सरकार का कहना है कि जमात के आयोजकों ने लॉकडाउन के तहत जारी निर्देशों का उल्लंघन करने के साथ बड़ी संख्या में लोगों की जान को भी संकट में डाला है। ऐसे में आयोजकों के खिलाफ आपराधिक मामला बनता है।
दिल्ली सरकार ने कहा, आयोजकों पर दर्ज हो केस
इसके बाद 23 मार्च को ही लॉकडाउन की घोषणा हो गई। उस दिन भी मरकज से से लोग बाहर नहीं जा सके। सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेज दी है। बताया जा रहा है कि निजामुद्दीन थाने के कई पुलिसकर्मी भी कोरोना संदिग्ध के दायरे में हैं।