छिन सकता है निर्मल ग्राम पुरस्कार

मंडी। निर्मल पंचायतों में अगर कोई गांव या घर बिना शौचालय के मिला तो उस पंचायत को मिला निर्मल पुरस्कार वापस हो सकता है। भारत सरकार फिर स्वच्छता अभियान का मूल्यांकन करने जा रही है। इस दौरान अगर पूर्व में पुरस्कार प्राप्त पंचायत मानकों पर खरा नहीं उतरती है तो उस पंचायत का न केवल पुरस्कार छिनेगा, बल्कि जुर्माना भी हो सकता है। भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से दिल्ली की स्वयंसेवी संस्था संबोधी रिसर्च को इस मूल्यांकन का काम सौंपा गया है। पहले चरण में प्रदेश की 122 पंचायतों का मूल्यांकन किया जाएगा। जिन्हेें वर्ष 2009, 2010 और 2011 में निर्मल ग्राम पुरस्कार मिल चुका है। यह संस्था पुरस्कार प्राप्त इन पंचायतों का विस्तृत अध्ययन करेगी। अगर कहीं इन पंचायतों में खुला शौच मुक्त का दावा गलत निकला तो इसकी रिपोर्ट सरकार के पास जाएगी और संबंधित पंचायत पर आवश्यक कार्रवाई के साथ पुरस्कार भी छीना जा सकता है। वर्ष 2009 से 2011 तक सूबे में कई पंचायतों को स्वच्छता के मानकों पर खरा उतरने के बाद राष्ट्रपति के हाथों प्रशस्ति पत्र और एक से तीन लाख की पुरस्कार राशि प्रदान की गई है। शुक्रवार को इस टीम ने मंडी जिले के सदर ब्लॉक में स्वच्छता के मानकों पर खरा उतरने वाली निर्मल ग्राम पुरस्कार प्राप्त पंचायतों का निरीक्षण किया। इधर, स्वच्छता समन्वयक तिलकराज का कहना है कि भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से अधिकृत संस्था एनजीपी पुरस्कार प्राप्त पंचायतों के मूल्यांकन को पहुंच चुकी है। अगर ये पंचायतें अभी भी स्वच्छता के मापदंड पूरे नहीं कर रही हैं तो उनके पुरस्कार पर सरकार पुन: विचार करेगी।

Related posts