चरण-2 को रोजगार तो उन्हें क्यों नहीं : विस्थापित

सैंज (कुल्लू)। पार्वती जल विद्युत परियोजना-3 में स्थाई रोजगार की मांग को लेकर विस्थापितों की हड़ताल 28 दिन से चल रही है। विस्थापित अपनी मांग पर अडे़ हुए है और परियोजना प्रबंधन समझौता करने के मूड में नहीं है। बीते दिन बंजार के विधायक कर्ण सिंह भी प्रभावितों की मांग को लेकर प्रबंधन से वार्ता कर चुके है। मगर कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया। कर्ण सिंह ने प्रबंधकों को एक माह के भीतर 30 विस्थापितों को रोजगार देने का अल्टीमेटम दिया है। विस्थापित नेता अनंत राम ने बताया कि प्रबंधक विस्थापितों की मांगों को सिरे से यह कह कर खारिज कर रहे है कि एमओयू में स्थाई रोजगार दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। विस्थापितों का कहना है कि जब इसी परियोजना के दूसरे चरण में इसी कंपनी ने विस्थापितों को रोजगार दिया है तो चरण-3 के विस्थापितों से पक्षपात क्यों किया जा रहा है। विस्थापितों ने अपना रुख थोड़ा नरम करते हुए अब एकमुश्त राहत राशि देने की मांग रखी है। अनंत राम ने कहा कि विस्थापितों को 25 लाख रुपए प्रति परिवार दिए जाए तो वह हड़ताल को खत्म करने बारे सोचा जा सकता है। विधायक कर्ण सिंह से हुई प्रबंधन की वार्ता में भी इस मांग को रखा गया था, मगर प्रबंधक मानने को राजी नहीं है। रोजगार की मांग को लेकर बिहाली में 28 दिन से प्रदर्शन चल रहा है। परियोजना का निर्माण कार्य रोके हुए हैं। यहां कार्य कर रहे मजदूरों को प्रबंधन ने अनिश्चितकालीन छुट्टी पर भेज दिया है। एनएचपीसी के महाप्रबंधक एके त्रिखा ने कहा कि एमओयू में स्थाई रोजगार दिए जाने का कोई प्रावधान न होने से वह इस संबंध में को निर्णय नहीं कर सकते।
बंजार के विधायक कर्ण सिंह अपनी सरकार का फैसला बदलेंगे। विधायक रोजगार की लड़ाई में विस्थापितों के पक्ष में उतर आए हैं। क्या 2005 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार से हुए एमओयू को कर्ण सिंह बदल पाएंगे। भाजपा के मीडिया प्रभारी बालकृष्ण ने कहा कि कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण विस्थापितों को अपने हक से वंचित होना पड़ रहा है।

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