चंबा। हिमाचल प्रदेश सरकार के आदेशों के बावजूद जिला में वनाधिकार अधिनियम के तहत कमेटियों का गठन नहीं किया गया है। इससे लोगों को अपने अधिकारों से वंचित रहना पड़ रहा है। गुज्जर समाज कल्याण सभा के अध्यक्ष हसन दीन, महासचिव गुलजार अहमद, हिमाचल बचाओ संघर्ष मोरचा के अध्यक्ष जगदीश चंद, प्रेस सचिव जान मोहम्मद, सलाहकार लाल सिंह, संकल्प परियोजना की कंपेनर उमा कुमारी और लाल सेन ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 14 मार्च, 2012 को केबिनेट में वनाधिकार अधिनियम 2006 को पूरे प्रदेश में लागू करने का निर्णय लिया था। इसके चलते प्रदेश सरकार के जनजातीय विकास के सचिव ने सभी जिलाधीशों को पत्र संख्या टीडी (ए) तीन जनवरी, 2011 के माध्यम से जिला और उपमंडल स्तर पर कमेटियां गठित करने के दिशा निर्देश जारी किए थे। इसके बावजूद जिला में कमेटियों का गठन नहीं किया गया है। केवल चंबा उपमंडल में ही कमेटी का गठन किया गया है। इससे आगे कमेटियां गठित करने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। जिला प्रशासन की इस कार्यप्रणाली से स्वयंसेवी संगठन खफा हैं। जब तक अनुसूचित जनजाति व अन्य परंपरागत वनाधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत लोगों को प्राप्त नहीं होते। सरकार द्वारा निजी कंपनी को वन भूमि में हस्तांतरण का अधिकार न दिया जाए। इसके अलावा जनवरी में होने वाली ग्राम सभाओं में वनाधिकार कमेटियों के गठन की प्रक्रि या को ग्राम सभा के एजेंडे में शामिल किया जाए। उन्हाेंने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस अधिनियम को सुचारु और प्रभावी ढंग से क्रि यांवित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं। इसके अलावा इसके लिए कर्मचारियों और अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाए। उन समस्त कंपनियों के एमओयू रद किए जाएं, जिन्होंने 2007 के बाद वन भूमि पर काम शुरू किए हैं और जल विद्युत परियोजनाएं निर्मित कर रही है।
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