गोरखा समाज बोला, 370 से आजादी के साथ ही समाज को मिली पहचान

गोरखा समाज बोला, 370 से आजादी के साथ ही समाज को मिली पहचान

जम्मू
अनुच्छेद 370 हटने से जम्मू-कश्मीर में रह रहा गोरखा समाज भी खुश है। वह भी अब डोमिसाइल का हकदार हो गया है। महाराजा के शासनकाल से राज्य में रह रहे गोरखा समाज के लोग तमाम सुविधाओं से वंचित था। उन्हें न यहां नौकरी का अधिकार था और न ही मताधिकार का। पहचान के लिए दरबदर थे। गोरखा समाज के लोगों का मानना है कि 370 से आजादी के बाद लगता है कि उनका भी इस राज्य में योगदान है।

गोरखा सभा की अध्यक्ष करुणा क्षेत्री, उपाध्यक्ष शंकर सिंह, चेयरमैन दीपक थापा, वाइस चेयरमैन अरुण कुमार, संरक्षक एसबी राणा, सचिव मोहिंद सिंह राणा, विनोद कुमार, शाम एडवोकेट, महिला शाखा उपाध्यक्ष शिप्रा पुन, सचिव उमा देवी व सोनिया थापा ने कहा कि सही मायने में उनके लिए आजादी का दिन पांच अगस्त 2019 था। इसके पहले वे स्वतंत्र भारत में भी रहते हुए बुनियादी अधिकारों से वंचित थे। उन्हें जम्मू-कश्मीर में किसी प्रकार के अधिकार प्राप्त नहीं थे।

महाराजा गुलाब सिंह के समय से वे यहां के बाशिंदे हैं। इस समाज के लोग सेना में भर्ती होते थे। अपने जुझारू तेवर के कारण उनकी खास पहचान थी। बाद में सेना में भर्ती होने पर भी रोक लगा दी गई। स्थायी नागरिकता प्रमाणपत्र तक उन्हें नहीं मिला। कई बार सरकारों ने वादा किया, लेकिन हर बार कोरा आश्वासन ही रहा। पहचान न होने की वजह से बच्चों को न तो सरकारी नौकरी मिल पा रही थी और न ही पढ़ाई में तवज्जो। अब समाज के लोगों को डोमिसाइल प्रमाणपत्र भी मिल गया है। सरकारी नौकरी के लिए भी बच्चे योग्य हो गए। उनका भविष्य संवर गया है।

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