गुरुद्वारा समिति में हों स्थानीय सदस्य

पांवटा साहिब (सिरमौर)। विश्व भर में प्रसिद्ध पांवटा गुरुद्वारा प्रबंधन समिति में बाहरी लोगों को शामिल करने पर विरोध जताया जा रहा है। स्थानीय क्षेत्र के सिख संगतों की शुक्रवार को विशेष बैठक रखी गई। इसमें स्थानीय कमेटी के पूर्व उप प्रधान व संस्थापक सदस्य स्व. रतन सिंह के योगदान को याद किया गया।
पूर्व जिला परिषद सदस्य सरदार जीएस सैनी की अध्यक्षता में स्थानीय समूह संगतों की बैठक हुई, जिसमें जीएस सैनी, जसवंत सिंह, मंजीत सिंह व अवतार सिंह तारी ने कहा कि बाहरी सदस्यों को शामिल करना गलत होगा। अन्य राज्यों से समिति सदस्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पांवटा गुरुद्वारा प्रबंधक समिति में बाहरी राज्यों के सदस्यों के मनोनयन से असंतोष बढ़ रहा है। प्रबंधन समिति में स्व. रतन सिंह की जगह पर उनके पौत्र सरदार हरप्रीत सिंह को शामिल करने की मांग भी उठी। इस बारे में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी तक आवाज पहुंचाई जाएगी। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी अमृतसर के मनोनीत सदस्यों में हिमाचल के सदस्य शामिल करने की मांग पर भी चर्चा की गई। बैठक में एनपीएस नारंग, जीएस सैनी, मनजीत सिंह व प्रीतपाल सिंह ने कहा कि पांवटा ऐतिहासिक गुरुद्वारा प्रबंधन को सुचारु रुप से चलाने को स्व. स. रतन सिंह के अनमोल योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। बैठक में इस मुद्दे को लेकर आगामी रणनीति व विचार-विमर्श किया गया।
इस मौके पर हरप्रीत सिंह, अजीत सिंह, मनजीत सिंह, जीएस सैनी, प्रीतपाल सिंह, इकबाल सिंह, जोगेंद्र सिंह, बलजीत सिंह नागरा, अवतार सिंह तारी, तेजपाल सिंह, भजन सिंह बंगा, सोहन सिंह. नरेंद्रपाल सिंह सहौता, एनपीएस नारंग, त्रिलोचन सिंह, कंवलजीत सिंह, परविंद्र सिंह, तलविंद्र सिंह, चरनजीत सिंह, जोगेंद्र सिंह, बलबीर सिंह, इशर सिंह, दर्शन सिंह, गुरबक्श सिंह, गुरमीत सिंह, रणधीर सिंह, सुरजीत सिंह, गुरनाम सिंह, बलबीर सिंह, महेंद्र सिंह, रणवीर सिंह, दर्शन सिंह व सोहन सिंह समेत सिख संगत के सैकड़ों सदस्य मौजूद थे।

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